बिजली चोरी रोकने की मंशा पर पानी फेर रहे कार्यदायी एजेंसी के लोग
न्यूज नेटवर्क
रायबरेली जनपद में। स्मार्ट मीटर के साथ आर्मर्ड केबल न लगाकर कार्यदायी एजेंसी करोड़ों रुपया हेरफेर करने में जुटी है। इससे एक ओर जहां सरकार की बिजली चोरी रोकने की मंशा पर पानी फिर रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी धन का बंदरबाट किया जा रहा है। अब तक 80 हजार उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, लेकिन ज्यादातर स्थानों पर पुरानी केबल ही लगी हैं।
पावर कॉर्पोरेशन के अभियंता भी जानकर अनजान बने हैं। जिले में करीब पांच लाख बिजली उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं के यहां अभी तक इलेक्ट्रानिक मीटर लगे हैं। इनकी जगह अब स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। स्मार्ट मीटर के साथ उपभोक्ताओं के यहां आर्मर्ड केबल लगाई जानी है।
शहर में तो आर्मर्ड केबल लगाई गईं हैं, लेकिन तहसील मुख्यालय, नगर पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर स्थानों पर आर्मर्ड केबल नहीं लगाई है। अर्मर्ड केबल न लगाकर कार्यदायी एजेंसी करोड़ों रुपया दबाने में जुटी है। बछरावां, लालगंज, ऊंचाहार, सलोन, डलमऊ नगर पंचायतों में केबल नहीं लगाए जाने से बिजली चोरी पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है।
अब तक करोड़ रुपये का घोटाले की आशंका
स्मार्ट मीटर के साथ आर्मर्ड केबल लगाई जानी है। विभागीय अभियंताओं का कहना है कि एक उपभोक्ता के यहां 40 मीटर केबल लगाई जानी है। 80 हजार में करीब 40 हजार उपभोक्ताओं के यहां केबल नहीं लगाई गई है। एक मीटर केबल का मूल्य करीब 40 रुपये हैं। इस हिसाब से अब तक केबल न लगाकर करीब छह करोड़ रुपये की घबलेबाजी की गई है।
शरद कुमार, जिला विद्युत फोरम के पूर्व सदस्य ने बताया कि बिजली चोरी रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने आर्मर्ड केबल के साथ स्मार्ट मीटर लगाने की योजना शुरू की है, लेकिन कार्यदायी एजेंसी पुरानी केबल पर स्मार्ट मीटर लगा रही है। इससे जहां करोड़ों रुपया का घपले की आशंका है, वहीं बिजली चोरी पर अंकुश नहीं लग पाएगा। इस पूरे पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।
जहां-जहां स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, वहां अर्मर्ड केबल लगाई जानी है। यही नहीं नए कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ता आर्मर्ड केबल खरीदकर देंगे। यदि कार्यदायी एजेंसी केबल नहीं लगा रही है, तो कार्रवाई की जाएगी।
रामकुमार, मुख्य अभियंता पावर कॉर्पोरेशन
