रायबरेली। तीर्थराज प्रयागराज त्रिवेणी संगम दुनिया का सबसे बड़ा आस्था का केंद्र बन गया है। महाकुंभ 2025 का अनुभव सबसे अद्वितीय रहा। महाकुंभ कल्पवास से वापस लौटी 85 वर्षीया श्रीमती गायत्री पांडेय का माला पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया गया। गायत्री पांडेय ने बताया कि उन्होंने संगम अनुभव किया और देखा कि श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति बहुत गहरी है। किस तरह श्रद्धालु अपने जीवन की सारी चिंताओं को भूलकर गंगा मैया, भगवान की आराधना में लीन हो जाते हैं।
गंगा, यमुना और सरस्वती त्रिवेणी की प्रवाहित अविरल निर्मल धारा श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का उद्गम है। श्रीमती गायत्री पांडेय ने अपने अनुभव को साझा करती हुए बताया कि अपने जीवन के 40 वर्षों से लगातार 8 कुंभ और 4 महाकुंभ का अनुभव किया। इस बार जैसा पहले कभी नहीं देखा। देश की मोदी और योगी सरकार ने महाकुंभ की इतनी दिव्य और भव्य व्यवस्था किया जो अकथनीय है। 40 वर्षों से तीर्थराज प्रयागराज की कृपा से उन्हें लगातार हर वर्ष कल्पवास करने का अवसर मिलता है।
संगम जाने के लिए बार बार मन में इच्छाएं लेती हैं अवतार और प्रस्फुटित होते हैं विचार, कि उन्हें प्रयागराज जाना है। जीवन में कितनी भी विपरीत परिस्थितियों आईं हों लेकिन उन्हें मां गंगा की कृपा से चालीस वर्षों से लगातार पुण्य लाभ मिलता है। महाकुंभ कल्पवास से परिवार आया है। शहर के सिविल लाइन स्थित आवास में हैं। महाकुंभ में अपने जीवन के कई अनुभव किए। उन्होंने कल्पवास के दौरान सीखा कि जीवन को कैसे आध्यात्मिक और सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहिए। त्रिवेणी संगम में उन्होंने अपने जीवन के कई अनुभवों को महसूस किया है।
गायत्री पांडेय ने कहा कि त्रिवेणी संगम में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं और वह पवित्र हो जाता है। यहां की आस्था और भक्ति का अनुभव करने से मनुष्य को आत्मशांति और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है। महाकुंभ से घर वापस आई श्रीमती गायत्री पांडेय के साथ उनके पुत्र अमरीश कुमार पांडेय पुत्रवधू उर्मिला देवी पांडेय, पौत्र प्रदीप पांडय, पौत्र बधू अंशिका पांडेय, परपौत्र राघव पांडेय, पौत्री अस्टिटेंट प्रोफेसर पूजा पांडेय,आरती पांडेय, वंदना पांडेय उपस्थित रहे। रायबरेली पहुंचने पर उनका परिवारजनों ने माला पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया।