ऊंचाहार: क्षेत्र के पौराणिक गोकर्ण ऋषि व राजा भगीरथ की तपोस्थली गोकना घाट को पर्यटन विभाग ने एक साल पहले तीन करोड़ की लागत से कायाकल्प कराए जाने का कार्य शुरू किया गया था। कार्यदाई संस्था के जिम्मेदार छह माह पूर्व घाट की खोदाई करा कर निर्माण कार्य बंद कर चले गए, और फिर लौट कर नहीं आए। इसकी वजह से प्रतिदिन शवदाह को आने वाले हजारों की संख्या में लोगों समेत रविवार व मंगलवार तथा प्रमुख पर्वों पर गंगा स्नान को इस घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं को अव्यवस्थाओं के साथ दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में 13 जनवरी से शुरू हो रहे पौष पूर्णिमा स्नान को लेकर तीर्थ पुरोहितों व क्षेत्रीय लोगों में आक्रोश व्याप्त है।
गोकना गंगा घाट पर प्रत्येक रविवार, मंगलवार, पूर्णिमा, अमावस्या के अलावा प्रमुख पर्वों के अवसर पर जनपद के अलावा प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी आदि जनपदों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान को आते हैं। पर्यटन विभाग ने मई महीने में तीन करोड़ की लागत से कार्य योजना बनाकर निर्माण कार्य शुरू कराया था।
कार्यदाई संस्था ने घाट की खोदाई करा कर एक महीने के अंदर ही निर्माण कार्य बंद कराकर चले गए। इसके बाद घाट पर खड़ी लोहे की सरिया दुर्घटनाओं को आमंत्रित करने लगी। समस्या को देखते हुए प्रशासन ने श्रवण मास व कार्तिक पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण पर्वों पर श्रद्धालुओं को गोकना घाट के बजाय गोलाघाट पर गंगा स्नान कराए थे। जहां अव्यवस्थाओं के बीच महिलाओं व युतियों को वस्त्र बदलने के साथ अन्य तमाम दुश्वारियों का सामना करना पड़ा था।
मां गंगा गोकर्ण जन कल्याण सेवा समिति के सचिव व वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित पंडित जितेंद्र द्विवेदी, तीर्थ पुरोहित ओम प्रकाश दीक्षित, उमाकांत शुक्ल, शिवबचन मिश्र, रामप्रकाश दीक्षित, जवाहर लाल मिश्र, गुरु प्रसाद, सत्यम द्विवेदी, शैलेंद्र कुमार द्विवेदी, धर्मेंद्र कुमार, गुड्डू शुक्ल, कंचन मिश्र आदि ने बताया कि घाट के निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए स्थानीय प्रशासन से लेकर जनपद के आला अधिकारियों से गुहार लगाई गई। लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।
एसडीएम सिद्धार्थ चौधरी ने बताया कि पर्यटन विभाग के जिम्मेदारों से बातचीत कर जल्द ही गोकना घाट के निर्माण कार्य को फिर से शुरू कराया जाएगा।