ऊंचाहार: परंपरा को जीवंत रखने के लिए पूरे शिव गुलाम राय मठ निवासी महादेव प्रजापति 95 वर्ष की अवस्था में भी दिये पूरे उत्साह के साथ बनाते हैं। वह कहते हैं कि भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर अमावस्या के दिन जब अयोध्या आए थे, तो प्रजा ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था। उन्होंने बताया कि हम तो भगवान राम की प्रजा हैं, जब तक जिंदा हैं तब तक दिये बनाते रहेंगे। उन्होंने इस बार भी दीपावली तक 10 हजार दिये बनाने का लक्ष्य रखा है, इसमें से लगभग आठ हजार दिये अब तक बना चुके हैं।
महादेव ने 10 वर्ष की अवस्था से ही पूरी लगन और मेहनत के साथ मिट्टी के दिये बना रहे हैं। वह अब तक 20 लाख से अधिक दिये बन चुके हैं। बढ़ती उम्र के बीच चाक चलाने में दिक्कतें आने पर पर पांच वर्ष पूर्व इलेक्ट्रानिक चाक खरीदी। और हर अब दीपावली पर सिर्फ 10 हजार दिये ही बनाते हैं। उन्होंने बताया कि दीपावली के दिन लक्ष्मी मैया व गणेश के अलावा भगवान श्रीराम भी घर आते हैं। महादेव ने कहा कि दशहरे पर उन्होंने रावण का वध किया था। आज भी लोग अपने भीतर की बुराई के रूप में रावण का पुतला जलाते हैं। दीपावली के दिन घर को संवार कर भगवान के घर आने का स्वागत करते हैं। इनके दिये विकासखंड के सभी ग्रामपंचायतों में घर-घर जाते हैं। कहते हैं कि न जाने किस दिये के भाग्य में भगवान श्रीराम का स्वागत होगा। इसके बदले कम से कम कुछ पुण्य वह भी कमा लेंगे। उन्होंने बताया कि मिट्टी के बर्तन और दिये बनाने कि अपने आप में एक कला है। वर्ष 2002 से लेकर 2016 तक कुम्हारों को लंबा वनवास मिला है। वर्ष 2017 से अयोध्या में दीपोत्सव के बाद दियों की मांग फिर से बढ़ी है। दिये के साथ-साथ अब कुम्हारों का परिवार मिट्टी के धोंतू, घड़ा, सुराही, गुल्लक, कुल्हड़ समेत अन्य बर्तन बनाकर इस कला को जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद
महादेव कहते हैं कि इलेक्ट्रानिक झालरों व अन्य उपकरणों में भले ही बाजारों में चकाचौंध भर दी हो, लेकिन दीपावली व छठ पूजा पर्व पर कुम्हारों द्वारा बनाए गए बर्तनों के बिना त्योहार पूरे नहीं होते। कुम्हार ही हैं जो अपने हुनर से मिट्टी को विभिन्न आकार देकर त्योहारों में चार चांद लगाते हैं। दीपोत्सव के आते ही क्षेत्र के कई गांव के कुम्हार मिट्टी के दीपक तैयार करने में जुड़ जाते हैं। इससे होने वाली आमदनी से वह भी खुशहाली से परिवार समेत दीपोत्सव पर्व मनाते हैं।

