रामचंद्र मिश्र (मनमाना गुरु) गदागंज, ऊंचाहार
रायबरेली। विजया दशमी पर्व पर राम रावण विजय पर कगोपनिषद् के अनुसार जब श्रीराम रावण का वध करने जा रहे थे। उसी दौरान उन्हें नीलकंठ के दर्शन हुए थे। इसके बाद श्रीराम को रावण पर विजय मिली थी। यही वजह है कि इस दिन नीलकंठ पक्षी का दिखना शुभ माना गया है।
इस दिन सभी अपने शस्त्रों का पूजन करते है। सबसे पहले शस्त्रों के ऊपर जल छिड़क कर पवित्र किया जाता है। फिर महाकाली स्तोत्र का पाठ कर शस्त्रों पर कुंकुम, हल्दी का तिलक लगाकर हार पुष्पों से श्रृंगार कर धूप-दीप कर मीठा भोग लगाया जाता है। शाम को रावण के पुतले का दहन कर विजया दशमी का पर्व मनाया जाता है।
कहते हैं कि विजयादशमी के दिन जब मर्यादा पुरुषोत्तम राम, रावण का वध करने जा रहे थे, तो उन्होंने नीलकंठ पक्षी को देखा था। इस लिहाज से नीलकंठ को देखना शुभ माना जाता है।
‘खगोपनिषद्’ के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के पास से नीलकंठ पक्षी उड़ता हुआ जाता है तो यह व्यक्ति के लिए सौभाग्य का प्रतीक होता है। ऐसे व्यक्ति की आयु पांच वर्ष और अधिक बढ़ जाती है।
अगर व्यक्ति को नीलकंठ किसी वृक्ष की हरी डाली पर बैठा दिखाई दे तो प्रेम सुख की प्राप्ति होती है वहीं सूखे वृक्ष की डाली पर बैठा दिखाई देने से दांपत्य जीवन में कलह पैदा होती है।
शास्त्रों के अनुसार नीलकंठ का जूठा किया हुआ फल खाने से मनवांछित लाभ, सौभाग्यवृद्धि एवं सुखमय वैवाहिक जीवन का योग बनता है।