अंकुश त्रिवेदी प्रयागराज
जनपद के विकासखंड श्रृंगवेरपुर के दुर्गा शुक्ल के पुरवा गांव में राजकुमार शुक्ल के द्वारा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा के दूसरे दिन पंडित शेषनारायण मिश्रा ने अश्वत्थामा तथा अर्जुन के प्रसंग का वर्णन किया।
कहा कि प्रभु नाम स्मरण से मुख पवित्र होता है। स्नान से तन पवित्र होता है। दान देने से धन पवित्र होता है। करोड़ों जन्मों के पुण्य का उदय होने पर श्रीमद् भागवत कथा करवाने तथा सुनने का अवसर प्राप्त होता है।
भागवताचार्य ने बताया कि श्री कृष्णा नेंअश्वत्थामा को सामने देखकर अर्जुन से कहा अब क्या देख रहे हो। इसने सोते हुए द्रोपदी के पांच पुत्रों को मारा है। आज इसके कृत्य का बदला ले लो। अर्जुन दौड़कर अश्वत्थामा को रस्सी से बांधने लगे। तब कृष्ण ने पूछा इसे क्यों बांध रहे हो। इसी वक्त इसे मृत्युदंड दे दो। अर्जुन ने कहा मैं इसे द्रोपदी के समक्ष ले जाकर टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा।
अपने रथ में बांधकर द्रोपदी के पास ले जाने लगे। कृष्ण ने कहा धर्मवान का कर्तव्य होता है कि शराबी, पागल, क्रोधी ,सोए हुए ,बालक, स्त्री ,मूर्ख, शरणागत ,निहत्थे ,भयभीत को नहीं मारना चाहिए। अश्वत्थामा ने जघन्य अपराध करके द्रोपदी के सोते हुए 5 पुत्रों को मारा है। इसे तुरंत यहीं मृत्युदंड दे दो। यह क्षमा के योग्य नहीं है।
अनीति के मार्ग पर चलने से तेज बुद्धि बल साथ छोड़ देते हैं। अर्जुन अश्वत्थामा को लेकर द्रोपदी के पास पहुंचे थे। द्रोपदी ने जब देखा तो कहा यह तो गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। कहा क्या अनर्थ कर दिया। इन्हें छोड़ दीजिए।
अर्जुन ने कहा इसने तुम्हारे पांच पुत्रों को मारा है। तुम्हें दया आ रही है। द्रोपदी ने कहा अश्वत्थामा में मैं गुरु द्रोणाचार्य को देख रही हूं। जिन्होंने आपको सारी विधाओं का ज्ञान करा करआपको पारंगत किया है। अर्जुन ने कहा क्या अपने बच्चों के दुख को भूल गई हो। इस पर दया ना करो।
द्रोपदी ने कहा बच्चों की मौत का दर्द मां जानती है। इसकी मौत से इसकी मां पर क्या बीतेगी। मेरे पुत्र तो पहले ही मारे जा चुके हैं। मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से किसी मां को पुत्र मोह में रोना पड़े। बगल में बैठे युधिष्ठिर ने द्रोपदी को कहा आप धन्य हैं।
यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता।
इस मौके राजकुमार शुक्ला पुष्पा शिवलोचन विद्यासागर शुक्ला कुलदीप शुक्ला प्रभात शुक्ला रानी देवी संदीप अंशु धीरज अनूप कुमार मौजूद रहे।