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नागेश त्रिवेदी, जगतपुर,रायबरेली:   सन्त निरंकारी आश्रम जगतपुर में सत्संग किया गया। सत्संग की अध्यक्षता करते हुए बहन पूनम ने कहा भक्ति की पराकाष्ठा ही प्रेम है।जिन्हें प्रेम करना आ गया उनके लिए प्रभु प्राप्ति बहुत ही सहज हो जाती है।

जीवन का सार जिस चीज से मिलता है वह प्रेम है। वह कोई सौदे बाजी वाला प्रेम नहीं ,समर्पण वाला प्रेम, हम स्वयं बन सकते हैं। परमात्मा कण कण में व्याप्त है। परमात्मा ने हमें प्रेम की छवि बनाकर भेजा है ।हर व्यक्ति से प्रेम करना चाहिए। ईश्वर की कृपा होने पर ही हृदय में भक्ति जागृति है। भक्ति आने पर प्रेम का प्रकट होता है। जीवन का सार प्रेम है।

प्रेम जीवन को खुशियों और आनंद से भर देता है।इस लिए महात्मा कहते हैं प्रेम ही एक मात्र सार है जीवन का , हम जहां भी जाएं जहां भी रहे जिससे भी मिले एक मुस्कुराहट का ही कारण बने खुशियां देने वाला बने। लोगों को सुकून दे। किसी का दिल ना दुखाएं सभी के साथ मिल कर रहे। इस मौके पर सजन ,रतिपाल , पूनम चन्द्र ,कमल , वन्दना , उषा आदि मौजूद रही।

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