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नागेश त्रिवेदी, रायबरेली: सन्त निरंकारी सत्संग आश्रम में रविवार को सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सत्संग की अध्यक्षता करते हुए वक्ता पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा । प्रभु की कृपा होने पर सत्संग में आने का अवसर प्राप्त होता है। सत्संग ही जीवन जीने की राह सीखना है।

आज ये सुनहरा अवसर हम सभी के जीवन में आया है। ये शब्द तो हम हमेशा सुनते आ रहे थे यह प्रभु परमात्मा कण कण में व्याप्त है।

सद्गुरु की कृपा मिलने पर जीवन साकार होता है। हमारे जीवन में तो निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा भावना के बीज का अंकुरण होता है। यही सेवा भावना एक दिन पुष्पित पल्लवित होकर वृक्ष का रूप धारण करती है। यानी लोगों की सेवा करते-करते व्यक्ति अपने और पराए का भेद भूल जाता है। उसका परिवार इतना विशाल बन जाता है कि सारा संसार उसे एक परिवार की तरह दिखाई देता है। यही सच्ची भक्ति है।परमात्मा को जानने के बाद ही सही मायने में भक्ति की शुरुआत होती हैं ।भक्ति करना अर्थात प्रेम करना जिन्हे प्रेम करना आ गया, सभी को खुशियां देना आ गया ।उनके लिए भक्ति बहुत ही सहज हो जाती है । अपनत्व वाले भाव बन जाते हैं ।बिना भक्ति के इस आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है। इसलिए सन्त जन सभी को आत्मकल्याण का रास्ता दिखा रहे हैं। इस मौके बसन्त लाल , राम प्रताप सिंह ,बहादुर , बसंत सिंह ,श्याम लाल , नाथ , शिव मूर्ति ,कमल , मीरा दीक्षित , रेखा , वन्दना , उषा ,रजनी , सुनिता
आदि मौजूद रहे।

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