आजशरद पूर्णिमा है ।
शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है।इस पूर्णिमा के अलग-अलग नाम हैं।, व्रत, पूजा विधि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सनातन धर्म पीठ के स्वामी दिव्यानंद गिरि ने बताया कि
शरद पूर्णिमा के दिन श्री सत्यनारायण व्रत कथा पूजा, स्नान दान आदि की आश्विन (शरत, शरद), पूर्णिमा, कोजागर व्रत कार्तिक स्नान प्रारंभ एवं आकाशदीप दान, लक्ष्मी-इंद्र कुबेर पूजा, ज्योतिष शास्त्र अनुसार शरद/आश्विन पूर्णिमा को की जाती है। चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होता है।. इसी दिन धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था।. साथ ही कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्मी माता आसमान में विचरण करती हैं। जागने वाले भक्तों को धन-वैभव का वरदान देती हैं।
मान्यता है कि पूर्णिमा के व्रत से दरिद्रता दूर होती है। और घर में धन की वर्षा होती है.
विशेष उपाय
1. शरद पूर्णिमा पर घर में सत्यनारायण की कथा करवानी चाहिए। भगवान विष्णु को केलों का भोग लगाएं।
2. सूर्यास्त के बाद देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से महालक्ष्मी और विष्णुजी का अभिषेक करें।
मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:।
3. पूर्णिमा की शाम को शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
4. हनुमानजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें।
5. शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में गर्भवती महिलाओं को चांद के दीदार करने से उनके गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है।
. चंद्रमा को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें
ॐ चं चंद्रमस्यै नम:
दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणं ।।
ॐ श्रां श्रीं
