नागेश त्रिवेदी, जगतपुर रायबरेली: निराश्रित मवेशियों से किसानों के बाद अब राहगीर परेशान है। गांव की गलियों खेतों को छोड़ मवेशी हाईवे को अपना ठिकाना बना रहे हैं। झुंड के झुंड सड़कों पर इकट्ठा मवेशियों की वजह से हादसे हो रहे हैं। निराश्रित मवेशियों को गौशालाओं में संरक्षित करवाने का दवा खोखला साबित हो रहा है।
निराश्रित मवेशियों के रहने के ठिकाने समाप्त होते जा रहे हैं। जंगलों का समाप्त होना मवेशियों को सड़कों पर आने का कारण बनता जा रहा है। एक ओर जहां पर्यावरण को नुकसान तो दूसरी ओर निराश्रित मवेशियों के ठहरने के स्थान पर किसानों द्वारा खेती करना भी है। प्राय हर गांव के पास निराश्रित मवेशियों ने पेड़ पौधों के नीचे, बागों में बैठने के अड्डे बना रखे हैं।
किसानों द्वारा खेतों में फसले तैयार की गई है। दिन रात किसान फसलों की रखवाली करते हैं। किसान फसलों को बचाने के लिए मवेशियों को सड़कों की ओर भगा देते हैं। जिंगना, कूंड़, नवाबगंज, जलाल पुर गांव के पास झुंड के झुंड मवेशी इकट्ठा होते हैं। ग्रामीण उमाशंकर, नीरज कुमार, राजू सिंह,प्रदीप कुमार, बबलू तिवारी ,राजाराम ,रामदयाल का आरोप है कि
सड़क पर इकट्ठा मवेशी जरा सी सावधानी पर राहगीरों से टकरा जाते हैं। 15 दिन पहले रोझइया गांव निवासी श्यामसुंदर बाजपेई की
मवेशी चपेट में आने से मौत हो गई थी। डलमऊ मार्ग पर दो माह पहले फतेहपुर जनपद की दो बाइक स्वरों की गोवंश के टकराने से मौत हो गई थी। बीते 6 माह में दर्जनों बाइक सवार तथा चार पहिया वाहन चालक दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं। निराश्रित मवेशियों को गौशाला में संरक्षित करने का दावा खोखला साबित हो रहा है। खंड विकास अधिकारी हबीबुल रब ने बताया है कि निराश्रित मवेशियों को गौशाला पहुंचाने के लिए सभी ग्राम सभाओं के ग्राम प्रधानों तथा सचिवों को निर्देश दिए गए।
