नागेश त्रिवेदी रायबरेली
सन्त निरंकारी आश्रम में रविवार को सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वक्ता विजय बहादुर ने बताया कि आनंद से रहना तभी संभव है जब हम प्रभु परमात्मा को जान लेंगे। फिर परिस्थितियां चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल उनका मन पर कोई असर नहीं होता।
परमात्मा के साथ जुड़े रहने से मन में ठहराव आ जाता है। दुनिया में कुछ कार्य हमारे मन मुताबिक हो जाते हैं । कुछ नहीं होते हैं ।परमात्मा पर हमारा विश्वास बना रहे ।यही सबसे बड़ा धर्म है।समर्पित भाव से जीवन जीना चाहिए। महात्मा ने उदाहरण देते हुए कहा जैसे हमारे पैर में कोई कांटा चुभ जाये तो उसका दर्द बना ही रहता है ।जब तक कि हम उस कांटा को निकाल न दे। उसी प्रकार संत महापुरुष अपने जीवन में जो बातें या व्यवहार चुभने वाले होते है ।उन्हें वह अपने मन से निकाल देते हैं। कहने का मतलब अगर मन की बातें कर्म में ढल जाए तो मन में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती थी। दूसरों को तकलीफ देना गंवारा नहीं होता।
परमात्मा की इच्छा को सर्वोपरि मान करके जीवन जीना चाहिए।बदले की भावना रखना सबसे बड़े पाप का कार्य है। बदला लेने के बजाय खुद को बदलना होगा। संस्कारिक भावना को मन में रख कर खुद को संवारते हुए भक्ति करने की प्रेरणा होनी चाहिए। बड़े ही सत्कर्म के बाद मानव तन मिलता है। इसका मूल्य समझिए। यही मानवता है। मानवता के मार्ग पर चलकर मनुष्य श्रेष्ठता के शिखर पर पहुंचता है। इस मौके पर बसंत लाल, रज्जन ,राम लखन,अनिल कुमार , संजय, वंदना ,उषा ,रेखा ,रूपाली ,सोनाली,मीरा,माया आदि मौजूद रहीं।
रायबरेली। पू...
Monday November 10, 2025रायबरेली
का...
Monday November 10, 2025
ग्...
Monday November 10, 2025न्यूज नेटवर्...
Sunday November 9, 2025न्यूज़ नेटवर...
Saturday November 8, 2025न्यूज नेटवर्...
Saturday November 8, 2025न्यूज नेटवर्...
Friday November 7, 2025
&n...
Thursday November 6, 2025न्यूज़ डेस्क...
Wednesday November 5, 2025