रायबरेली। हौसला व कुछ नया करने का जज्बा हो तो पैसा आड़े आता है और न शिक्षा। आजीविका मिशन के तहत चलाई जा रही योजना का लाभ लेकर महिलाएं तरक्की की लकीर खींच रही हैं।

डलमऊ के बिझामऊ प्रेमा देवी 12 कक्षा पास हैं। इनका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था। प्रेमा बच्चों की शिक्षा में बाधा बन रही गरीबी को दूर करने का संकल्प लिया और खुद का काम शुरू करने का इरादा बनाया। गांव की महिलाओं काे इकट्ठा कर समूह बनाने पर चर्चा की। 10 महिलाओं ने मिलकर 2022 में दुर्जन बाबा महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया। समूह बनने के बाद आजीविका मिशन के ब्लाक मिशन प्रबंधक विवेक त्रिवेदी ने महिलाओं से रोजगार को लेकर चर्चा की। सभी ने कागज से प्लेट व कटोरी बनाने का कारोबार शुरू करने की बात रखी।

महिलाओं की मांग पर उन्हें गांव में ही कागज से कटोरी व प्लेट बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। सामुदायिक निवेश निधि से 1.10 लाख, बैंक क्रेडिट लिमिट से 150 लाख रुपये का लोन लेकर महिलाओं ने मशीन खरीद कर कागज से कटोरी व प्लेट बनाने का काम शुरू किया।

समूह की अध्यक्ष का कहना है कि हर माह चार हजार रुपये की आय घर बैठे महिलाएं कर रही हैं। महिलाओं की मेहनत और उनकी आमदनी देख अन्य महिलाएं भी रोजगार करने के लिए आगे आ रही हैं। उपायुक्त स्वरोजगार ऋषिपाल सिंह का कहना है कि महिलाएं स्वरोजगार के लिए आगे आ रही हैं। गांवों में रोजगार को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।