न्यूज डेस्क रायबरेली: एनटीपीसी परियोजना में छह यूनिटों की बदौलत 1550 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। 12 सितंबर की सुबह यूनिट संख्या पांच को 35 दिनों के लिए मरम्मत के नाम पर बंद किया गया था। मरम्मत का कार्य पूर्ण होने के बावजूद भी प्रबंधन द्वारा इसे संचालित नहीं किया जा सका। इस युनिट के बंद होने से जहां परियोजना का 210 मेगावाट विद्युत उत्पादन प्रभावित हो रहा है, वहीं इसका असर परियोजना के व्यवसायिक राजस्व पर भी पड़ रहा है।
कोल आधारित विद्युत तापीय एनटीपीसी परियोजना में यूनिट संख्या एक से पांच तक 210, 210 तो वहीं छठवीं यूनिट पांच सौ मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली बनाई गई है। सभी यूनिटों को मिलाकर परियोजना से 1550 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है। यहां से उत्पादित बिजली उत्तरी ग्रिड के माध्यम से उत्तर प्रदेश के अलावा हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश समेत नौ राज्यों को भेजी जाती है। यहां की एक भी यूनिट के बंद होते ही इसका सीधा असर इन सभी राज्यों पर पड़ता है। प्रबंधन द्वारा 12 सितंबर की सुबह यूनिट संख्या पांच को 35 दिनों के लिए वार्षिक मरम्मत के नाम पर बंद कर दिया गया था। इस बीच यूनिट की विधिवत मरम्मत कराई गई। फिर भी 39 दिन बीत जाने के बाद भी प्रबंधन द्वारा इसे अभी तक संचालित नहीं कराया गया है। तथा अन्य संचालित यूनिट अभी आधे भार क्षमता पर संचालित हो रही है। वर्तमान में यूनिट संख्या एक से 122, दो से 119, तीन से 126 चार से 136 और छह से 297 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। कुल मिलाकर इस एनटीपीसी परियोजना से 800 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो रहा है। प्रबंधन परियोजना से कम विद्युत उत्पादन करने की वजह उत्तरी ग्रिड द्वारा बिजली की मांग घटाए जाना बताया जा रहा है। एनटीपीसी परियोजना की जनसंपर्क अधिकारी कोमल शर्मा ने बताया कि उत्तरी ग्रिड द्वारा बिजली की मांग घटाए जाने के पर सभी यूनिटों को आधे भार क्षमता पर संचालित किया जा रहा है। पांचवीं यूनिट में अभी मरम्मत का कार्य चल रहा है। मरम्मत का कार्य पूर्ण होते ही इसे भी संचालित कर विद्युत उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।