न्यूज डेस्क ऊंचाहार: रोहनिया गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में रविवार चौथे दिन कथा व्यास मन्महामहिम विद्या मार्तण्ड स्वामी ने श्रोताओं को भक्त प्रहलाद की मार्मिक कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भगवान लीलाधारी हैं। उनकी लीलाओं में भक्ति व सद्मार्ग के अनुसरण करने की सीख मिलती है। वह स्वयं भक्तों की रक्षा के लिए समय-समय पर अवतार लेते रहते हैं।
वेदी पूजन के बाद कथा प्रारंभ करते हुए उन्होंने कहा कि विपत्ति काल में भी ईश्वर के नाम का सहारा नहीं छोड़ना चाहिए। हम सभी को ईश्वर के प्रति अपने विश्वास को मजबूती देनी चाहिए। क्योंकि भगवान की भक्ति हर किसी को नहीं मिलती है। जो सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं प्रभु उन्हें ही मिलते हैं। सतत प्रभु की लीलाओं का चिंतन व मनन करने वाले को ही प्रभु की कृपा से भक्ति मिलती है। कई वर्षों से हिरण्कश्यप भगवान की भक्ति में लीन अपने पुत्र प्रह्लाद को तरह-तरह की यातनाएं देता था। वह भगवान की जगह उसका नाम लेना शुरू कर दे। अंततः वह प्रह्लाद को एक ऊंचे खंभे से बांध देता है। अहंकार में चूर हिरण्यकश्यप पूछता है कि बताओ तुम्हारे भगवान कहां है। तुम्हारा बध होने से अब कौन बचाएगा। प्रह्लाद ने भी कठिन से कठिन परिस्थिति में ईश्वर के प्रति अपने विश्वास को डिगने नहीं दिया था। इससे उन्हें ईश्वर के दर्शन हुए, और संसार का समस्त सुख मिला। भक्त प्रहलाद की भक्ति सेवा को देखते हुए भगवान नरसिंह रूप धारण कर प्रकट हुए और उनके रख जीवन की रक्षा की। कथा आयोजक चंद्रिका प्रसाद त्रिपाठी व राजपती, कौशल तिवारी, सर्वेश तिवारी, अनुपम तिवारी, संतोष शुक्ल, अनिल शुक्ला, आशीष त्रिपाठी, अनुज कुमार, विद्यावती, तारा देवी, मालती, सीमा देवी समेत काफी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।