सत्संग में आने से समाप्त होती है मन की भटकन

नागेश त्रिवेदी रायबरेली: सन्त निरंकारी आश्रम में मंगलवार को सत्संग कार्यक्रम काआयोजन किया गया बहन पूनम ने सत्संग सभा को संबोधित करते हुए कहा ।

सत्संग में आने से मन की भटकन समाप्त हो जाती है। संतों का सानिध्य मिलने से ही जीवन संवर जाता है। सत्गुरु की कृपा से ब्रह्म ज्ञानियों का संग मिलता है। मनुष्य शहज अवस्था को प्राप्त करता है। जीवन में भटकन समाप्त हो जाती है। स्थिरता वाला जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। संत महात्माओं की संगत ही हम सभी को भक्ति से परिपूर्ण बनाती है। इस परिवर्तनशील संसार में कुछभी स्थिर नहीं है। परिवर्तन संसार का नियम है। अपने आप को बदलना ही होगा। तभी हम सबका कल्याण हो सकता है। गलत विचारों को मन से हटाकर सदाचार लाना होगा ।सन्तों के संग से मन निर्मल हो जाता है। सत्संग में जाने पर मन के मैल धीरे-धीरे धुल जाते हैं ।संत महात्मा बड़े परमार्थी होते हैं। हमेशा परमार्थ का ही कार्य करने के लिए जीवन को समर्पित कर देते हैं।
दूसरों के जीवन में बदलाव लाने में लगे रहते हैं। सतगुरु जीवन जीने की कला सिखाते हैं । उनका अनुसरण कर हम सभी जीवन को सफल बना सकते हैं।इस मौके पर बसंत लाल, मनीष कुमार राम लखन, राम सजीवन , उषा, वंदना,अंजू सुनीता राजकुमारी राजदुलारी रेखा आदि मौजूद रहीं।

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