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भक्ति करने से मिलती है जन्म मरण के बंधन से मुक्ति 

जगतपुर , रायबरेली:  सन्त निरंकारी आश्रम जगतपुर में बुधवार को सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सत्संग की अध्यक्षता करते हुए संजय जी ने कहा बड़े ही भाग्य से मानव तन मिला है। इसकी सार्थकता को जानिए। आत्मा का कल्याण करना अर्थात भक्ति करना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। भक्ति से ही जन्म मरण के बंधन से मुक्त मिलती है।

 

स्वार्थी मन कभी भक्ति नहीं कर पाएगा। भक्ति करने के लिए तो मन की अवस्था को सरल और सहज बनाना पड़ता है। श्रीरामचरितमानस की चौपाई का उदाहरण देते हुए कहा।

निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।

जिनके मन में किसी के प्रति छल कपट नहीं रहता दूसरों के लिए प्रेम और दया के भाव रहते हैं जो अपनी यथाशक्ति सभी की मदद करने के भाव रखते हैं ।संसार की शक्तियों में अपना विश्वास न बनाकर प्रभु परमात्मा का सहारा लेकर जीवन जीते हैं। उनके लिए प्रभु का मार्ग बहुत ही सहज हो जाता है।

 सोच बदलने पर ही हर व्यक्ति ईश्वर के रूप में दिखाई देता है। इसके बाद ही मानवता के साथ जीवन जीना आ जाता है। इस मौके पर बसन्त लाल , राम स्वरूप, राम सुमेर, शीतला प्रसाद ,रतीपाल , आशा निर्मला , उषा , वन्दना मौजूद रही।

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