स्वार्थी मन कभी भक्ति नहीं कर पाता-रामकिशोर

नागेश त्रिवेदी रायबरेली: सन्त निरंकारी आश्रम में सोमवार को सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वक्ता राम किशोर ने कहा बड़े ही भाग्य से मानव जन्म मिला है। इसकी सार्थकता को जानिए। जीवन उसको कहते हैं जो काम किसी के आता है। भक्ति करना जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। भक्ति से ही जन्म मरण के बंधन से मुक्त मिलती है।

स्वार्थी मन कभी भक्ति नहीं कर पाएगा। भक्ति करने के लिए तो मन की अवस्था को सरल और सहज बनाना पड़ता है।
निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। जिनके मन में किसी के प्रति छल कपट नहीं रहता सभी के लिए प्रेम और दया के भाव रहते हैं। जो अपनी क्षमता के अनुसार दूसरों की मदद करने के भाव रखते हैं । ईश्वर उनकी मदद करता है। उनके लिए प्रभु का मार्ग बहुत ही सहज हो जाता है।

संत महापुरुषों की शिक्षाओं को अमल करके हम सभी सुंदर जीवन बना सकते है। क्योंकि जब हम संतों से जुड़ते हैं सन्त हमें गुरु से जोड़ देते हैं। सतगुरु से ज्ञान पाकर भक्ति करने की शक्ति मिल जाती है।तब संसार मैं हर तरफ प्रभु परमात्मा ही दिखाई देता है। किसी भी व्यक्ति के अवगुण नहीं देखना चाहिए। सिर्फ गुण देखना चाहिए। सोच बदलने पर ही हर व्यक्ति ईश्वर के रूप में दिखाई देता है। इसके बाद ही मानवता के साथ जीवन जीना आ जाता है। इस मौके पर बसन्त लाल , राम स्वरूप, राम सुमेर, शीतला प्रसाद ,रतीपाल , आशा निर्मला , उषा , वन्दना मौजूद रही।

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