नागेश त्रिवेदी रायबरेली: सन्त निरंकारी आश्रम में रविवार को सत्संग कार्यक्रम काआयोजन किया गया । वक्ता विजय बहादुर ने कहा।हरि का सुमिरन करने से उत्तम धर्म नहीं है । दूसरों की सेवा करना सबसे बड़ा कर्म है ।जो व्यक्ति संतों की सेवा तन मन धन से करता है। वही सच्चा भक्त है।
संत महात्माओं ने प्रभु परमात्मा का स्मरण करते हुए जीवन को दूसरों की भलाई में लगाया। समाज को भी यही प्रेरणा दी ।कि परमात्मा ही सत्य है। यह संसार मिथ्या है। जो एक न एक दिन नष्ट हो जायेगा। अगर हमें अपनी आत्मा का कल्याण करना है। तो इस मन में रमे राम को जानना ही होगा।
मन को सत्गुरु के चरणों में समर्पित करके ही भक्ति करनी है। निर्मल मन से आराधना करने पर प्रभु की प्राप्ति होती है। ईश्वर की कृपा होने पर अपने पराये के भेद भाव , ईर्ष्या जलन नफरत घृणा जैसे भाव मन से समाप्त हो जाते हैं। प्यार दया, क्षमा, विनम्रता,समता के भाव जागृत होते हैं । इस मौके पर ब्रांच प्रबन्धक ज्ञान प्रचारक बसन्त लाल , हरिवंश लाल ,राज कुमार , राज कुमार , राम संजीवन, रतीपाल , राम प्रसाद , संजय कुमार श्रीवास्तव , वंदना , ऊषा देवी , कर्मा वती , रजनी , साधना , मौजूद रही।