गरीबी के भंवर में फंसी जीवन की नाव, आजीविका मिशन बनी पतवार
क्रासर
गरीबी से निकली 2616 महिलाएं बनी लखपति दीदी
जिले में आजीविका मिशन के तहत समूह से जुड़ी 1.50 लाख महिलाएं
रायबरेली। गरीबी का दंश झेल रही आधी आबादी हुनर व स्वावलंबन के हौसले के बल पर जीवन की नाव को पार लगा रही हैं। कई महिलाओं ने गरीबी के दाग को साफ कर लखपति दीदी की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया है। समूह से जुड़कर जिले में करीब 14 हजार स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें करीब 1.50 लाख महिलाएं जूड़ी हुई हैं। इनमें से 2616 महिलाएं लखपति दीदी की सूची में शामिल हैं। करीब 790 महिलाएं स्वयं का रोजगार शुरू कर अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणाश्रोत बनी हुई हैं।
जनपद में करीब 79 समूह ऐसे हैं जो साझा प्रयास से खुद का रोजगार कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। समूह को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए आजीविका मिशन अहम भूमिका निभा रही है। उपायुक्त स्वरोजगार का ऋषि पाल सिंह का कहना है कि गांव की हर महिला को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। समूह की महिलाओं काे अन्य विभागों में भी रोजगार मुहैया कराया जा रहा है।
108 महिलाओं को बैंकों सखी बनाया गया है। यह महिलाएं गांव में लोगों काे बैंक से पैसा निकालने में मदद कर रही हैं। ग्रामीणों को पैसे निकालने के लिए बैंक नहीं जाना पड़ रहा है। करीब 150 समूह की महिलाओं पावर कार्पोरेशन से जोड़ कर विद्युत सखी बनाया गया है। यह सभी महिलाएं ग्रामीणों से बिजली बिल वसूल कर रही हैं।