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कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उन्नत इमेजिंग तकनीक और गुणवत्ता आश्वासन पर केंद्रित रहा एकदिवसीय सम्मेलन

 

न्यूज़ नेटवर्क
रायबरेली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायबरेली के रेडियो निदान विभाग द्वारा भारतीय रेडियोलॉजिकल टेक्नोलॉजिस्ट सोसाइटी उत्तर प्रदेश शाखा के सहयोग से “इमेजिंग उत्कृष्टता के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को सशक्त बनाना” विषय पर एकदिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया।

इस सम्मेलन ने चिकित्सा जगत में तकनीकी नवाचार, अकादमिक उत्कृष्टता और नैतिक स्वास्थ्य सेवा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रखा। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रोफेसर (डॉ.) नीरज कुमारी, डीन (अकादमिक), एम्स  द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आधुनिक चिकित्सा में इमेजिंग तकनीक न केवल रोगों के निदान का प्रमुख साधन है, बल्कि यह भविष्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है।

उन्होंने रेडियोलॉजी क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान और प्रशिक्षित तकनीकी जनशक्ति की आवश्यकता पर बल दिया। एम्स रायबरेली की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अमिता जैन प्रशासनिक कारणों से सम्मेलन में उपस्थित नहीं हो सकीं, किंतु उन्होंने अपने संदेश में इस आयोजन को चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता और नवाचार को बढ़ावा देने वाली प्रेरक पहल बताया।

विशिष्ट आमंत्रित अतिथि के रूप में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), लखनऊ के प्रोफेसर (डॉ.) हीरालाल ने भाग लिया और रेडियोलॉजी के भविष्य पर अपने विचार रखते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लाने जा रही है, जो निदान को अधिक सटीक और त्वरित बनाएगी।

सम्मेलन में देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों से आए विशेषज्ञ वक्ताओं में प्रोफेसर (डॉ.) गौरव राज (राम मनोहर लोहिया अस्पताल, लखनऊ), प्रोफेसर (डॉ.) राजुल रस्तोगी (तेरना मेडिकल यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद), डॉ. अनुराधा सिंह (एसजीपीजीआई, लखनऊ), डॉ. अतुल मिश्रा (सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी), डॉ. सौरभ कुमार (किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ) और डॉ. धनंजय सिंह (गलगोटियास विश्वविद्यालय) प्रमुख रूप से शामिल रहे। वक्ताओं ने रेडियोलॉजिकल विज्ञान में एआई की भूमिका, नवीनतम इमेजिंग तकनीकें, गुणवत्ता नियंत्रण, नैतिक मानदंड और रेडियोलॉजिस्ट की जिम्मेदारियों पर अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष डॉ. कुशल सिंह, रेडियोलॉजिस्ट एवं सहायक प्राध्यापक, एम्स रायबरेली ने कहा कि यह सम्मेलन न केवल वैज्ञानिक विमर्श का मंच है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा को सशक्त बनाने की दिशा में सामूहिक प्रयासों का प्रतीक भी है। उन्होंने कहा कि रेडियोलॉजी अब केवल तकनीक नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना और नैतिकता का विज्ञान बन चुका है।

कार्यक्रम के संगठन सचिव अभिषेक कुमार तथा सह-संगठन सचिव पिंकू कुमार, सत्यंम वर्मा और निपुण चावला ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सम्मेलन में देश के विभिन्न चिकित्सा और पैरामेडिकल संस्थानों से बी.एससी., एम.एससी. एवं पीएच.डी. (रेडियोलॉजी एवं इमेजिंग टेक्नोलॉजी) के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत शोधपत्रों और पोस्टर प्रस्तुतियों ने रेडियोलॉजी क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और सीखने की प्रतिबद्धता को उजागर किया। समापन सत्र में वक्ताओं और प्रतिभागियों ने एक स्वर में कहा कि इमेजिंग तकनीक आधुनिक स्वास्थ्य सेवा का हृदय है, और इसका प्रभावी उपयोग ही चिकित्सा जगत को नई दिशा दे सकता है। सम्मेलन का समापन अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक वातावरण में हुआ।

उल्लेखनीय है कि एम्स रायबरेली के रेडियोलॉजी विभाग वर्तमान में संस्थान के सबसे सक्रिय और प्रमुख विभागों में से एक है। बावजूद इसके, यहां पिछले तीन वर्षों से नए विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में विभाग की पूरी जिम्मेदारी रेडियोलॉजिस्ट एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. कुशल सिंह के कंधों पर है, जो अन्य डॉक्टरों के अभाव में सीमित संसाधनों के बावजूद पूरे विभाग को कुशलतापूर्वक संभाल रहे हैं।

उनकी प्रतिबद्धता और नेतृत्व क्षमता के बल पर विभाग न केवल सुचारू रूप से संचालित हो रहा है, बल्कि इस स्तर के सफल सम्मेलन का आयोजन कर एम्स रायबरेली को राष्ट्रीय पटल पर एक विशिष्ट पहचान भी दिला रहा है। यह स्थिति जहां प्रशासनिक दृष्टि से हास्यास्पद प्रतीत होती है, वहीं डॉ. कुशल सिंह की समर्पण भावना और कार्यकुशलता एम्स रायबरेली के गौरव और दृढ़ संकल्प का परिचायक बन गई है।

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