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कार्तिक पूर्णिमा पर्व में गंगा स्नान कहीं, मेला कहीं और वाह री प्रशासन

News Desk

ByNews Desk

Nov 11, 2024
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ऊंचाहार, रायबरेली: कार्तिक पूर्णिमा पर्व पर गोकना घाट पर लगभग 15 लाख श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाते थे। इस बार घाट के सौंदर्यीकरण व कायाकल्प का कार्य होने से घाट पर व्यवस्थाएं बिगड़ गई है। जिसको लेकर प्रशासन ने गोलाघाट पर गंगा स्नान तो गोकना घाट पर मेला को लेकर फरमान जारी किया है। जबकि गोलाघाट पर बहुत थोड़ा सा गंगा का बहाव रह गया है। ऐसे में श्रद्धालुओं को दो किलोमीटर रेत में पैदल चलकर अव्यवस्थाओं के बीच गंगा स्नान करना पड़ेगा। अव्यवस्थाओं को लेकर घाट के तीर्थ पुरोहितों तथा क्षेत्रीय लोगों में नाराजगी बनी हुई है।

गोकर्ण ऋषि की तपोस्थली व दक्षिण वाहिनी मां गंगा के होने से गोकना घाट पर जनपद के अलावा अमेठी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर तथा फतेहपुर जनपदों के बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण गंगा स्नान व घाट पर लगने वाले तीन दिवसीय कार्तिक पूर्णिमा मेले का आनंद उठाने आते हैं। बीते वर्ष मई माह में पर्यटन विभाग द्वारा तीन करोड़ की लागत से घाट का सौंदर्य करण का कार्य शुरू कराया गया था। लगभग दो महीने तक चला यह निर्माण कार्य गंगा में बाढ़ के चलते बंद हो गया। और आज तक शुरू नहीं हो सका। अधूरे निर्माण के चलते घाट पर लोहे की सरिया खड़ी हैं, इसी के चलते लोगों को गंगा स्नान में दिक्कतें आती है। यही वजह रही कि प्रमुख पर्वों पर गोकना घाट को जाने वाले मार्ग पर बांधा बैरी गांव के पास प्रशासन ने बेरीकेटिंग कर श्रद्धालुओं को गोलाघाट की ओर मोड़ दिया जाता है। गंगा का जलस्तर घटने के बाद गोलाघाट पर गंगा की धारा बदल गई। और बहुत थोड़ा यानि लगभग दो फिट जल ही रह गया है। जिसमें श्रद्धालुओं को स्नान कर पाना नामुमकिन साबित हो रहा है। ऐसे में श्रद्धालुओं को लगभग डेढ़ किलोमीटर रेत में चलकर गंगा की धारा तक पहुंचना होगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि रेत में कटान होने की वजह से गंगा काफी गहरी है। जिसमें श्रद्धालुओं के स्नान के बीच बड़ी दुर्घटनाएं घटित हो सकती हैं।

गोला घाट पर पूर्व में भी हो चुकी है दुर्घटनाएं

घाट के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित पंडित जितेंद्र द्विवेदी, ओमप्रकाश दीक्षित, दुर्योधन प्रसाद मिश्र बताते हैं कि पूर्व में गोला घाट पर जलस्तर कम होने की वजह से लोग इसी स्थान पर आए हुए थे। अव्यवस्थाओं के बीच गहरे जल में जाने से बाबूगंज, डीह, जगतपुर आदि गांवों के श्रद्धालुओं की गंगा में डूबने से मौत हो चुकी है। इसके बावजूद भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

पुरोहितों द्वारा गोकना घाट पर स्नान की की गई व्यवस्था

गोकना घाट के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित पंडित जितेंद्र द्विवेदी, ओमप्रकाश दीक्षित, दुर्योधन प्रसाद मिश्र, शिवबचन मिश्र, सत्यम, भीमशंकर पंडा, रामप्रकाश दीक्षित, जवाहरलाल मिश्र, उमाकांत शुक्ल आदि बताते हैं गोलाघाट पर गंगा स्नान के बाद श्रद्धालु केवल मेला देखने के उद्देश्य से गोकना घाट पर आएंगे। ऐसे में घाट की महत्वा धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी। और श्रद्धालुओं को गोकना घाट के दक्षिण वाहिनी मां गंगा पर स्नान का पुण्य भी नहीं मिल सकेगा। समस्याओं को देखते हुए घाट पर लगे हुए लोहे के सरिया को मोड़ दिया गया है। गोकना घाट पर गंगा स्नान में अब किसी तरह की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।

एसडीएम सिद्धार्थ चौधरी ने बताया कि गोकना घाट पर निर्माण कार्य के चलते अव्यवस्थाओं को देखते हुए इस बार गोलाघाट पर श्रद्धालुओं के गंगा स्थान की व्यवस्थाएं की जा रही है। तथा मेला पूर्व की भांति गोकना घाट पर ही लगेगा।

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