कस्बा से लेकर गांव तक आवारा कुत्तों का खौफ, दहशत में लोग

न्यूज़ डेस्क : कस्बा से लेकर गांव तक आवारा कुत्तों का आतंक बना हुआ है। यह कुत्ते चलते हुए राहगीरों को दौड़ाकर काट लेते हैं। कभी-कभी बाइक सवारों को दौड़ा लेने पर इनसे बचने के चक्कर में वह सामने से आ रहे वाहन से टकरा जाते हैं, या फिर दहशत में आकर सड़क पर गिरकर लहू लोहान हो जाते हैं। कुत्तों के काटने पर लोगों को अस्पतालों में रेबीज के साथ इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं। लापरवाही करने पर जान जाने का भी खतरा बना रहता है। इसके बावजूद इन आवारा कुत्तों पर नियंत्रण लगाने को लेकर जिम्मेदार विभागों की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहे हैं।

तहसील अंतर्गत ऊंचाहार, रोहनिया व जगतपुर को मिलाकर एक नगर पंचायत समेत 119 ग्राम पंचायतें हैं। कस्बा से लेकर सभी गांवों में घूम रहे आवारा कुत्ते लोगों की जान के दुश्मन बनें हुए हैं। हालांकि इन्हें पकड़ना तो दूर, नगर निकाय से लेकर ग्राम पंचायत में आवारा कुत्तों की नसबंदी तक की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे ये खूंखार कुत्ते अक्सर लोगों को काटकर घायल कर दे रहे हैं।

आवारा कुत्तों का पर्याय बनी अगर नगर पंचायत की बात करें तो दिन रात उनके झुंड दसों वार्डों में घूमते रहते हैं। और लोगों को देखते ही उनपर हमलावर हो जाते हैं। इनकी दहशत के कारण बच्चे अक्सर गिरकर चोटहिल हो जाते हैं। यही हाल गांवों में भी बना हुआ है। खूंखार कुत्ते आए दिन आमजन से लेकर फालतू मवेशियों तक को अपना शिकार बनाते हुए उन्हें काटकर घायल कर दे रहे हैं। शनिवार को सीएचसी में उपचार कराने आए

सीएचसी अधीक्षक डा मनोज शुक्ल ने बताया कि ठंड के दिनों में कुत्ते अधिक आक्रामक हो जाते हैं। इसकी वजह से कुत्तों द्वारा लोगों को काटने की घटनाएं अधिक होती हैं। वहीं सीएचसी अंतर्गत कुत्ता काटने से उपचार करने वालों की संख्या की बात करें तो पिछले तीन महीने में कुल लोगों ने उपचार कराया है। पीएचसी और निजी अस्पतालों में उपचार करने वालों की संख्या इससे कहीं अधिक होने का अनुमान है।