ऊंचाहार (रायबरेली): रामचंदर पुर गांव स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीराम कथा के चौथे दिन शुक्रवार को कथावाचक पंडित राकेश शास्त्री महाराज ने श्रोताओं को धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर का अनूठा वर्णन कर कथा का रसपान कराया।
मंदिर परिसर में बनाए गए आकर्षक पंडाल में कथा व्यास ने मिथिला नरेश जनक द्वारा पुत्री सीता के विवाह के लिए आयोजित स्वयंवर का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि माता सीता के स्वयंवर में देश देशांतर के अनेकों सम्राट, महा प्रतापी राजाओं ने भाग लिया। राजा जनक की शर्त थी कि जो भगवान शंकर का धनुष तोड़ेगा, उसी से मां जानकी का विवाह संपन्न होगा।
सभी राजाओं ने एक एक कर धनुष उठाने का प्रयास किया। लेकिन उसे हिला तक नहीं सका। जिसके बाद राजा जनक निराश हो गए, कहा कि क्या पृथ्वी वीरों से खाली हो चुकी है। यह सुन विश्वामित्र की आज्ञा लेकर श्रीराम ने धनुष तोड़ दिया। धनुष टूटते ही मंगल गीतों के साथ आकाश मार्ग से देवों, गंधर्वों द्वारा पुष्प वर्षा की गई। हर कोई सीताराम के जयकारे लगाने लगा। उसी समय भगवान परशुराम क्रोधित हो उठे, और श्री राम के पास पहुंचे। तब भगवान श्रीराम ने उनसे कहा कि यह कार्य कोई आपका दास ही कर सकता है। यह सुनकर उनका क्रोध शांत हुआ। कथा समापन के बाद आरती पूजन व प्रसाद का वितरण किया गया।
इस मौके पर प्रधान दिलीप तिवारी, प्रधान शिवप्रकाश, भाजपा नेता सुनील दुबे, विमल तिवारी, पिंटू तिवारी, नारेन्द्र शुक्ल, शिवकरन मिश्र, राजू नायक, लवलेश सिंह, अमित गुप्ता समेत काफी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।