रायबरेली : मां गंगा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है, पौराणिक मान्यता है कि गंगा जल छिड़कने मात्र से स्थान शुद्ध हो जाता है। प्रयागराज में अगले वर्ष महाकुंभ का आयोजन है। सरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल गंगा की स्वच्छता को गंभीर है। सरकार ने भी गंगा में गिर रहे गंदे नालों को रोकने के लिए निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी जिले में गंदे नाले गंगा की अस्मिता को भंग कर रहे हैं।
जल निगम, राज्य स्वच्छ गंगा मिशन और जिला प्रशासन कोई भी गंदे नालों को रोकने को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं हैं। कुंभ के दौरान नालों के गंदे पानी और गंगा जल के संगम में लोगों को मजबूर रहेंगे। जिले में करीब 12 गंदे नाले भागीरथी को की पवित्रता को भंग कर रहे हैं। सवाल यह है कि गंगा के आंचल को मैला कर रहे नालों को शोधित करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन गंगा में गंदा पानी ही जा रहा है।
जल निगम के अधिकारियों का तर्क है कि जमीन न मिलने से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना नहीं हो पा रही है। भूमि मिले तो प्राकलन रिपोर्ट शासन को भेजी जाए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप कुमार विश्वकर्मा का कहना है कि डलमऊ में बायो रेमेडिएशन विधि से नालों का पानी शुद्ध किया जा रहा था। अब क्या स्थिति है, इसकी जानकारी कराई जा रही है।
डलमऊ नगर पंचायत की ईओ आरती श्रीवास्तव का कहना है कि बायो रेमेडिएशन विधि से नालों के पानी को शोधित कराया जा रहा है। इसके लिए हर बर मोटी रकम भी खर्च की जा रही है। सनातन धर्म पीठ बड़ा मठ के स्वामी दिव्यानंद गिरि का कहना है कि गंगा में गिर रहे गंदे नालों के कारण जल से आचमन करना भी मुश्किल हो रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि टंकी में कोई न केमिकल डालने आ रहा है और न देखने। सब कागज पर ही चल रहा है।
सनातन धर्म पीठ बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि का कहना है कि गंगा के अमृत प्रवाह को प्रदूषण से बचाने के प्रयास कागजों से निकाल कर धरातल पर लाने की जरूरत है। यही हालात रहे तो जलीय जीवों पर भी संकट के बादल छाने से कोई रोक नहीं सकता। अधिकारियों की उदासीनता से महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को इसी गंदे पानी में स्नान करना पड़ेगा।
कोट
नाले जो उगल रहे जहर
सड़क घाट नाला – 95.4 लीटर प्रति घंटे
पथवारी देवी घाट नाला- 528 लीटर प्रति घंटे
दीन शाह गौरा घाट नाला- 438.37 लीटर प्रति दिन (18.2लीटर प्रति घंटे)
महावीर घाट नाला – 390.50 लीटर प्रति दिन (16.3 प्रति घंटे)
शुकुल घाट नाला – 89.64 लीटर प्रति घंटे
बरुद्दाघाट नाला- 39.96 प्रति घंटे
मठ घाट नाला – 427.27 लीटर (17.8 लीटर प्रति घंटे)
श्मशान घाट नाला, 480 लीटर प्रति दिन
पड़वा नाला – तीन एमएलडी
गेगासों लालगंज में मां संकटा देवी के मंदिर के बगल में नाला- तीन एमएलडी
ऊंचाहर के एनटीपीसी से निकला अरखा के पास नाला – करीब आठ एमएलडी
ऊंचाहार कस्बा से निकला गंदा नाला – करीब 10 एमएलडी
(आंकड़े जलनिगम के अनुसार)