भगवान श्रीराम के हाथों भवसागर को पार हुआ था राक्षसी मारीच

ऊंचाहार: रामचंदरपुर रेलवे फाटक स्थित हनुमान मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीराम कथा के सातवें दिन सोमवार को कथा व्यास पंडित राकेश शास्त्री ने सूर्पणखा नासिका, खर-दूषण युद्ध का संगीतमय वर्णन किया। इस दौरान पंडाल भगवान श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।

उन्होंने कहा कि शूर्पणखा ने सुंदर रूप धारण कर भगवान श्रीराम व लक्ष्मण के समक्ष विवाह का प्रस्ताव रखा। जिसे दोनों ही भाई ठुकरा देते हैं। इसके बाद सूर्पणखा द्वारा विकराल रूप धारण कर लेती हैं , तब भगवान दंड स्वरूप उसकी नाक और कान काट देते हैं। इसके बाद वह अपने भाई खर व दूषण को युद्ध के लिए उत्साहित करती है। दोनों राक्षस भाई युद्ध में मारे जाते हैं। तब शूर्पणखा लंका में जाकर रावण को भड़कती है। और रावण के पूछने पर खर और दूषण दोनों भाइयों की कथा सुनाती है। रावण मारीच को मृग रूप धारण करने को कहता है, ताकि बदले में वह सीता को चुरा सके।

मारीच सोने का कपट मृग बन कुटिया के पास जाता है। माता सीता श्रीराम से मृग की छाल लाने को कहती हैं। श्रीराम के बाणों से मृग मारा जाता है। श्रीराम को संकट में जान सीता माता लक्ष्मण को भेज देती है। अवसर पर रावण भिखारी के रूप में सीता से भीख मांगता है। लक्ष्मण रेखा के भीतर से भीख देती है, तो वह कहता है कि बंधी हुई भिक्षा नहीं लगा। जैसे ही सीता रेखा से बाहर आती हैं, रावण उन्हें अपहृत कर लंका चल देता है। कथा सुनकर श्रोताओं की आंखें आंसुओं से डबडबा आई। इस मौके पर सुनील दुबे, नारेंद्र शुक्ल, विमल तिवारी, पिंटू तिवारी, अमित गुप्ता, लवलेश सिंह समेत काफी संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।

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