रायबरेली : जिले में दूषित पानी पीने के लाेग मजबूर हैं। पानी खराब होने के कारण ग्रामीण गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। दूषित पानी से ग्रामीण ही नहीं, जल निगम के अधिकारी भी परेशान हैं। जल जीवन मिशन के तहत गांवों में शुद्ध पानी की आपूर्ति करने के लिए नलकूप के पानी की टेस्टिंग की गई। 16 ग्राम पंचायतों में नलकूपों से पानी मानक से खराब निकलने पर नलकूप के बोर को रिजेक्ट कर दिया गया है।
अधिकारियों का कहना है एक नलकूप का बोर करने में करीब 12 लाख रुपये कर खर्च आता है। पानी की गुणवत्ता ठीक न होने के कारण खास तौर पर गंगा कटरी क्षेत्र के लोग परेशान हैं। बाजपेयीपुर के अभिषेक शुक्ल का कहना है कि फ्लोराइड युक्त पानी पीने के कारण बच्चों में फ्लोरोसिस जैसी बीमारी की चपेट में आते जा रह हैं। जिन गांवाें में पानी खराब है वहां के लोग ढलती उम्र के साथ अधिकांश लोग गठिया रोग से पीड़ित हो रहे हैं। गंगा कटरी में रहने वाले ग्रामीण लीबर, पथरी जैसे रोग की चपेट में आ रहे हैं। मनोज कुमार तिवारी का कहना है कि शुद्ध पानी न होने के कारण लोग शहरों की ओर रुख कर रहे हैं।
दूषित पानी के कारण डीह की बिरनवां, छतोह की चंदवाही, लालगंज ब्लाक की गेगासों, सैंबसी, मूसापुर, मेरामऊ, नीबी, विसायकपुर, रणगांव, रालपुर, डलमऊ के हंसनापुर, हरचंदपुर में सलीमपुर खास, मदनटूसी, घूरा डीह, मकदूमपुर, और शोभापुर ग्राम पंचायत में जल निगम ने जल जीवन मिशन योजना के तहत नलकूप की बोरिंग कराई, लेकिन सभी बोरिंग जांच में फेल हो गई।
जल निगम के अधिशासी अभियंता सफीकुर्ररहमान का कहना है कि नलकूप में दूषित पानी निकलने पर बोरिंग को फेल कर दिया गया है। जब तक शुद्ध पीने योग्य पानी नहीं निकलेगा तब तक गांव में पानी की आपूर्ति नहीं दी जाएगी।