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दुश्मन को धूल चटाने में शहीद हुआ पति, जीवन बचाने के लिए सिस्टम लड़ रही पत्नी

News Desk

ByNews Desk

Jul 15, 2025
IMG 20250710 WA0171 दुश्मन को धूल चटाने में शहीद हुआ पति, जीवन बचाने के लिए सिस्टम लड़ रही पत्नी

क्रासर

शहीद के सम्मान में बनी सड़क पर पैदल चलना मुश्किल

कच्चे व जर्जर मकान में रह रही शहीद की पत्नी को आवास की दरकार

फोटो संख्या 5, 6

विकास वाजपेयी

रायबरेली। देश की आन बान शान के लिए प्राणों कि आहुति देने वाले अमर शहीद रामकुमार की पत्नी 55 वर्ष से कच्चे मकान में रह रही हैं। जमीन कम होने से शहीद की पत्नी दाने दाने को मोहताज हैं। लोन लेकर किसी तरह बेटियों कि शादी कर दिया। पति को याद कर अरुणा की आखें भर आई। रुधें गले से वह बताती हैं कि न बच्चों कि पढ़ाई के लिए कोई मदद मिली और न अन्य सरकारी सुविधाएं। पेंशन के सहारे किसी वह बचे जीवन को बिता रही हैं। आवास नहीं मिला, कच्चे घर में रहने को विवश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शहीदों के परिवारजन के प्रति सरकारी लापरवाही सामने आती है तो सवाल उठने लाजमी हैं। सवाल यह है कि देश के रखवालों को सरकारी सुविधाएं जैसे आवास, राशन भी नहीं मिल रहा हैं। वीरांगनाएं भी सिस्टम से जंग लड़ रही हैं।

डलमऊ के अमरहा गांव की अरुणा वीरांगना हैं। वह बताती हैं कि 1971 में भारत पाक युद्ध शुरू हुआ उस समय उनके पति अमर शहीद रामकुमार असम में तैनात थे। युद्ध की आहट सुनते ही सेना ने उनकी बटालियन को जंग के मैदान पर उतार दिया। पाक सेना को इस युद्ध में मुह की खानी पड़ी। युद्ध के दौरान उनके पति शहीद हो गए। घर में उनकी शहादत की सूचना मिली तो पूरा गांव रो पड़ा। दो बेटियां थीं।अरुणा बताती हैं कि उनको पेंशन मिलने लगी, लेकिन बेटियों की पढ़ाई व उनकी शादी में सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली। गांव तक शहीद के नाम से पक्की सड़क बनवाई, लेकिन वर्तमान में सड़क पर पैदल चलना मुश्किल है।

इनसेट

अंगूठा नहीं लगता तो राशन बंद हो गया

अरुणा देवी बताती हैं कि जमीन 15 बिस्वा है, जिसमें खाने भर का राशन नहीं होता। हाथ की रेखाएं मद्धिम हो गई हैं। मशीन में नहीं लगती, इस लिए कोटेदार ने राशन देना बंद कर दिया है। राशन खरीदना पड़ रहा है। कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

इनसेट

कच्चे घर में रहने की मजबूरी

अमर शहीद की पत्नी अरुणा कच्चे घर में रह रही हैं। कई बार आवास के लिए मांग की, लेकिन आवास की उम्मीदें सिस्टम से हार गई। वह कच्चे घर में रहने को विवश हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शहीदों के परिवारों को सरकारी सुविधाएं मिलनी चाहिए। अधिकारियों को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए। सरकारी योजनाओं का लाभ मिले तो शहीद का परिवार भी सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करे।

वर्जन

शहीद की पत्नी को आवास और राशन मिले इसके लिए मैं हर संभव प्रयास करुंगा। सड़क की मरम्मत के लिए लोक निर्माण विभाग को पत्राचार किया जाएगा।

फरीद अहमद खान, एसडीएम डलमऊ

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