रायबरेली। अखिल भारतीय सफाई कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने बुधवार को 11 सूत्रीय अपनी मांगों को लेकर नगर पालिका के जलकल कार्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन किया था और ज्ञापन जिलाधिकारी को देकर समस्याओं का निदान कराने की मांग की। सफाई कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष ने मांगो पर संज्ञान लेकर निदान न करने पर दो अक्टूबर से अनिश्चित कालीन धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी।
सफाई कर्मचारियों का आरोप है कि धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन देने से नाराज नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष ने सफाई कर्मचारियों का मानदेय व वेतन रोकने का आदेश दे दिया। देर शाम सफाई कर्मचारियों को इस बात की जानकारी हुई तो वे भड़क उठे। उन्होंने गुरुवार से ही हड़ताल पर जाने का निर्णय ले लिया। गुरुवार सुबह सभी कर्मचारी जलकल कार्यालय परिसर में एकत्र होकर धरने पर बैठ गए। साफ सफाई न होने से शहर में गंदगी बिखरी रही। बारिश होने से कचरे से निकलने वाली गंध से दुकानदारों, शहरवासियों का बुराहाल है।
सफाई कर्मचारी संघ के संगठन के जिला अध्यक्ष दिनेश वाल्मीकि ने कहा कि नगर पालिका कार्यालय में तैनात बड़े बाबू आशुतोष सिंह को तत्काल हटाया जाए। उक्त लिपिक पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होने के कारण ही डीएम के आदेश पर हटा दिया गया था, लेकिन उस बाबू को फिर से तैनात कर दिया गया है। मांगों को पूरा करने के बजाय पालिका अध्यक्ष ने कर्मचारियों का वेतन काटने का आदेश दे दिया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कर्मचारी अपनी बात भी नहीं कह सकते? यह तानाशाही पूर्ण रवैया स्वीकार्य नहीं है। दो अक्टूबर से धरना प्रस्तावित था, लेकिन चेयरमैन ने कर्मचारियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसीलिए आज से ही हम सभी धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हुए हैं।