रायबरेली: सनातन धर्म पीठ बडा मठ परिसर में बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सनातन धर्म के सबसे पवित्र गीता ग्रंथ की जयंती मनाई गई। दालभ्य पीठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने गीता ग्रंथ पर पुष्प अर्पित कर आरती व पूजन किया। इसके बाद एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में स्वामी गीतानंद गिरि ने कहा कि गीता धर्म युद्ध के रूप में हम सबके बीच विद्यमान है। यदि महाभारत न होता तो गीता का संदेश कौन देता? गीता हम सभी को शांति का संदेश देती है। विश्व में गीता का 14 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।
गोष्ठी में आए लोगों को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी दिव्यानंद गिरि ने कहा कि विश्व में गीता ग्रंथ के अतिरिक्त कोई ग्रंथ नहीं है, जिसकी जयंती मनाई जाती हो, गीता मार्ग से भटके हुए लोगों को सदमार्ग पर लाती है। जनमानस को कर्तव्य पथ पर चलने के लिए प्रेरित करती है। स्वामी राम चेतन गिरि का कहना है कि हर व्यक्ति को गीता पढ़ना चाहिए। गीता पढ़ने से मन स्थिर रहता है।
महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने कहा कि महाभारत युद्ध के प्रारंभ में अर्जुन मोह ग्रस्त हो गए। मोह ग्रस्त व्यक्ति विचार शून्य हो जाता है और विचार शून्य व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। गीता ग्रंथ जीवन के यथार्थ से आमना सामना कराती है और संयमित जीवन जीने की कला सिखाती है। इस अवसर पर स्वामी धर्मानंद, उमाकांत मिश्र, सुधाकर शास्त्री, सुशील शास्त्री सहित बड़ी संख्या में आश्रम के शिष्य मौजूद रहे।