नागेश त्रिवेदी रायबरेली
कस्बा स्थित प्राथमिक विद्यालय के खेल मैदान में मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भागवत विदुषी रत्नमणि दुबे ने श्री कृष्ण के जन्म के प्रसंग सुनाते हुए कहा। कि जीव जन्म से निर्मल होता है। जैसे आकाश से गिरी बूंद निर्मलता के बाद भी धरती पर आने के बाद अशुद्ध बन जाती है।
मोह ममता माया प्रपंच दंभ द्वेष में बंध कर जीव अपनी निर्मलता को खो देता है। संसार रूपी जेल शरीर रूपी मथुरा जीव रूपी वसुदेव सद्बुद्धि रूपी देवकी देहा भिमान रूपी कंस सद्बुद्धि रूपी देवकी संतान रूपीहथकड़ी नारी रूपी भक्त, भक्तिरूपी यमुना, हृदय रूपी गोकुल में जब परमात्मा का जन्म होता है। तो समस्त बंधनों से मुक्ति मिल जाती है। भाद्रपद कृष्ण पक्ष स्वाति नक्षत्र अर्ध रात्रि में परमात्मा का प्राकट्य कारागार में होते ही जेल के फाटक खुल जाते हैं।
मथुरा से श्री कृष्ण को लेकर वसुदेव यमुना पार करते हुए गोकुल जाते हैं। नंद की पत्नी यशोदा कन्या को लेकर सो रही थी। वसुदेव श्रीकृष्ण को छोड़ कर कन्या को लेकर वापस कारागार में आते हैं। और देवकी की गोद में रख देते हैं। पुत्र का जन्म का समाचार सुनकर कंस जेल में पहुंचता है।देवकी से कन्या को छीनकर अपनी गोद में लेकर जैसे ही मारने का प्रयास करता है। योग माया स्वयं आकाश लोक से होते हुए विंध्याचल पर्वत पर पहुंचती है। जिसे विंध्यवासिनी के नाम से जाना जाता है।
सांसारिक लोगों को बताया कि जो अपना है वही सपना है और जो सपना है वही अपना है। निर्मल मन से ईश्वर की आराधना सारे बंधनों से मुक्त कर देती है। इस मौके पर गिरजेश सिंह, प्रमोद दीक्षित, मुन्ना मिश्रा, अनिल सिंह, अनिल बाजपेई, हरिप्रसाद आदि मौजूद रहे।