रायबरेली : रेलवे ने हादसे रोकने के लिए सतर्कता बढ़ा दी है। रेल पटरियाें की पेट्रोलिंग के लिए तैनात कर्मचारियों को जीपीएस से लैस कर दिन ही नहीं रात्रि में भी पेट्रोलिंग शुरू कराई गई है। पेट्रोलिंग करने वाले कर्मियों की लोकेशन की भी निगरानी के लिए तीन कंट्राेल रूम बनाए गए हैं। यह निगरानी ठंड के मौसम तक ही रहेगी। उच्चाधिकारियों ने 28 फरवरी तक रात्रि पेट्रोलिंग कराने के निर्देश दिए हैं।
ठंड के मौसम में रेल हादसे को अंजाम देने के लिए अराजक तत्व अधिक सक्रिय रहते हैं। रेल मंत्रालय द्वारा महाकुंभ के आयोजन और ठंड के दस्तक देने के साथ पेट्रोलिंग करने वाले कर्मचारियों को जीपीएस के साथ सुरक्षा के लिहाज से सेफ्टी जैकेट मुहैया कराई दी गई है। रेलवे ट्रैक की निगरानी के लिए रात 11 बजे से सुबह पांच बजे तक प्रति छह किलोमीटर पर दो पेट्रोलिंग कर्मियों को तैनात किया गया है, ये कर्मचारी रोजाना छह किलोमीटर पटरी पर पैदल चलकर निरीक्षण करेंगे। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद पेट्रोलिंग शुरू हो गई है।
पेट्रोलिंग मैन पटरी के पेंडोल, लाइनर व रबड़ पैड, ट्रैक फ्रैक्चर की देख रेख कर उच्चाधिकारियों को समय रहते बताएंगे। इन कर्मचारियों के पास तेज रोशनी देने वाली दो टार्च, नंबर प्लेट, पटाखा, सेफ्टी जैकेट के साथ ही जीपीएस मशीन रहेगी। छोटी मोटी कमियों को यह कर्मचारी दुरुस्त भी करेंगे। पटरी में खामी मिलने पर कर्मचारी तीन सौ मीटर दूरी पर पटाखा लगाने के साथ ही उच्चाधिकारियों को सूचना देंगे।
सहायक मंडल अभियंता एसके पांडेय का कहना है कि यदि रेल पटरी पर कहीं कोई कमी है तो पेट्रोलिंग कर्मचारी ट्रैक पर 300 मीटर पहले पटाखा लगा देंगे। पटाखा की आवाज से लोको पायलट गाड़ी रोक देगा, जिससे हादसा टल जाएगा। निगरानी के लिए रेलमार्ग को तीन जोन में बांटा गया है। हर जाेन के रेल पथ निरीक्षक प्रतिदिन की जा रही पेट्रोलिंग पर नजर रखेंगे। सूत्रों की मानें तो जीपीएस पेट्रोलिंग कर्मी को ट्रैक पर आ रही ट्रेन से अलर्ट कर देगा। ट्रेन के निकट आने पर जीपीएस मशीन में लगे अलार्म अपने आप बजने लगेंगे, जिससे कर्मचारी पटरी से समय रहते हट जाएंगे।