परिवहन निगम में किए गए डीजल घोटाले में पहली कार्रवाई

रायबरेली: परिवहन निगम डिपो में सितंबर व अक्टूबर में करीब 4577 लीटर डीजल का हिसाब किताब किसी के पास नहीं है। सवाल यह है कि आखिर यह डीजल पंप से गया तो कहां गया। डीजल पंप का काम देख रहे मोहम्मद शमीम का कहना है कि डीजल कम कैसे हुआ यह हमें पता नहीं है। पंप प्रभारी ने 2600 लीटर डीजल के कम होने की लिखित जानकारी 16 अक्टूबर को एआरएम को दी थी।
इससे पहले सितंबर में भी पंप प्रभारी ने एआरएम को 1977.62 लीटर डीजल कम होने की जानकारी दी थी, लेकिन मामले की गंभीरता को नजरंदाज कर एआरएम ने कोई कार्रवाई करना ताे दूर किसी से पूछताछ भी करना उचित नहीं समझा। विभाग के सीनियर आडिटर जितेंद्र कुमार के नेतृत्व में टीम ने जांच की।
जांच के दौरान आडिट टीम ने पंप प्रभारी मोहम्मद शमीम से 15 वर्षों के अभिलेख तलब किए, लेकिन उनको तीन माह के ही अभिलेख दिखाए जा सके। कागजात न दिखा पाने के कारण मुख्यालय से लेखाकार जय नारायण को बाराबंकी डिपो में तबादला कर दिया गया है। एआरएम व पंप प्रभारी व अन्य मामले में शामिल कर्मचारियों पर कार्रवाई न होने से लोगों में रोष बढ़ रहा है। दबी जुबान विभागीय कर्मचारियों का कहना है कि मामले की जांच बारीकी से की जाए तो अभी और भ्रष्टाचार के मामले उजागर हाेंगे।

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मुख्यालय से लेखाकार को डिपो से हटाकर बाराबंकी भेजा गया है। डीजल घोटाले की जांच चल रही है, जो भी कर्मचारी इस भ्रष्टाचार के इस प्रकरण में शामिल होंगे उनपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
आरके त्रिपाठी, क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन निगम

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