न्यूज़ डेस्क : पहाड़ी क्षेत्र में हुई बर्फबारी के बाद तापमान में गिरावट आई है। ठंडी हवाओं के बीच पाला पड़ने से लोगों का बुरा हालहै। दिन में धूप निकलने पर भी लोगों को सर्द हवाओं भरी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। रविवार की शाम ढलते ही लोग घरों में कैद हो गए, वहीं बढ़ती ठंड को देखते हुए प्रशासन द्वारा अभी तक सीएचसी, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, कस्बा समेत प्रमुख चौराहों पर अलाव की समुचित व्यवस्था भी नहीं कराई गई है। अस्पतालों में तीमारदार व बस तथा रेलवे स्टेशन पर साधनों का इंतजार करते लोग ठंड कांपते रहे।
कड़ाके की ठंड ने अपना असर दिखना शुरू कर दिया है। भले ही दिन में तेज धूप निकल रही हो, लेकिन सर्द हवाओं के सामने बेअसर साबित रही है। हालांकि धूप में बैठने से थोड़ी राहत जरूर मिल जाती है। ऐसे में रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, और सड़कों पर खुले आसमान के नीचे रहते बिताने वालों के पास ठंड से बचाव के नाम पर कुछ भी नहीं है। प्रशासन द्वारा अभी तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड समेत क्षेत्र के प्रमुख चौराहों पर अलाव की व्यवस्था नहीं कराई है। लोग कूड़ा करकट, पेड़ों के सूखे पत्ते, कागज, पोलीथीन आदि जलाकर खुद को गर्म करने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि यह उपाय अस्थाई और ठंडी हवाओं के सामने भी असर साबित हो रहे हैं। रविवार को दिन में 17 तो वहीं रात में सात डिग्री तापमान रहा। बूढ़े, बुजुर्ग और बच्चे घरों में रजाई में दुबके रहे। शाम ढलते ही बाजारों में चहल-पहल भी काफी कम हो गई। ठंडी हवाओं ने कब कभी बढ़ा दी जिससे लोगों को राहत नहीं मिल रही है। खुले आसमान के नीचे रहने वाले गरीब और बेघर लोगों के लिए यह मौसम किसी चुनौती से काम नहीं है।
सीएचसी अधीक्षक डा मनोज शुक्ल ने बताया कि ठंड में ब्लड प्रेशर बढ़ने, हाइपोथर्मिया, और नसों तथा जोड़ों का दर्द भी बढ़ने लगता है। ठंड से बचने और रोग प्रतिरोधक क्षमता पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। ठंड बढ़ने से हाइपोथर्मिया होने का डर बना रहता है। इसमें ब्लड प्रेशर कम होने और शरीर के विभिन्न अंगों के ठीक से काम करने में परेशानी होने लगती है।
ठंड में खून की नसे सिकुड़ने की वजह से ब्लड प्रेशर पढ़ने से हार्ट अटैक का डर भी बना रहता है। ऐसे में बूढ़े बुजुर्गों और बच्चों को पीने के लिए कुछ गर्म पदार्थ, जैसे सूप, और उच्च ऊर्जा वाला भोजन दें।