न्यूज़ डेस्क: संत शान्ति, त्याग, समर्पण, राग रहित जीवन का प्रतीक है, वर्तमान परिदृश्य में सनातन संस्कृति विलुप्त होती जा रही है, दैनिक कर्मकांड लोग सरपट भागती जीवन शैली में भूलते जा रहे हैं। ऐसे में गंगा के तट पर स्थित सनातन धर्म पीठ के नब्बे बसंत पार कर चुके महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि गो, गंगा, गोमती, गायत्री और गांव की सभ्य संस्कृति को बचाने के लिए निरंतर जनजागरण कर रहे हैं। आश्रम में शिक्षा, कर्मकांड, योग, के साथ साथ संस्कारों का बोध छात्रों को कराया जाता है। यहां प्रतिदिन संस्कृति संरक्षण को लेकर छात्रों को जागरूक किया जाता है।
धर्म शास्त्रों से निकल रहा संवृद्धि का मार्ग
सनातन धर्म पीठ में लखीमपुर खीरी, सीतापुर, उन्नाव, अमेठी, कानपुर सहित आधा दर्जन जनपदों से आकर छात्र शिक्षा व संस्कारों ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। शिक्षा के अतिरिक्त प्रति दिन महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि की गीता की पाठशाला सजती है, जिसमें जीवन को सदमार्ग की राह दिखाई जा रही है, तो वहीं रामचरितमानस सम्बन्धों के अनुसार आचरण का बोध करा रही हैं।
विदेश में कर रहे सनातन संस्कृति का प्रचार
सनातन धर्म पीठ में ज्ञान अर्जित मिर्जापुर ऐहारी गांव निवासी करुणा पति हिंदू कर्मकांड संपन्न कराने के लिए अमेरिका की यात्रा कर , वहां भारतीय संस्कृति का प्रचार कर चुके हैं। दाल्भ्य पीठाधीश्वर स्वामी देवेंद्रानन्द गिरि ने कहते हैं कि सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए सनातन धर्म पीठ निरंतर प्रयास कर रही है। यहां जनपद के अतिरिक्त आधा दर्जन जनपदों के छात्र शिक्षा व संस्कारों के साथ भारतीय संस्कृति का ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। यहां पढ़ने वाले छात्रों के रहने, खाने व स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जाता है।