रायबरेली : ठंड ने दस्तक दे दी है। हवा की सेहत पहले से ही खराब है। ऐसे में कोहरे के साथ दूषित कण सांस रोगियों के लिए घातक साबित होने लगे हैं, जिले में प्राणवायु स्वास्थ्य के लिए घातक है। यह हम नहीं मोबाइल पर मौसम विभाग के एप में एक्यूआइ की स्थिति बयां कर रही है।
जिले में हवा जहरीली होती जा रही है, लेकिन जिम्मेदर अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। लोग पराली जला रहे हैं। एक्सप्रेस वे व सड़कों के निर्माण में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए नियमों को लेकर खूब मनमानी भी की जा रही है। चिकित्सक भी लोगों को मास्क लगाकर बाहर निकलने की सलाह दे रहे हैं। हवा के जहरीली होने के कारण लोग सांस के रोगी होते जा रहे है।
डलमऊ के रामधनी यादव, अनिल कुमार, पीयूष कुमार मिश्र लालगंज के मनोज कुमार, संजीव कुमार शुक्ल का कहना है कि अवैध रूप से भट्ठों का संचालन, धधक रहीं कोयला भट्ठियां, खेत में लगातार जलाई जा रही पराली, शहर में हो या कस्बा सभी जगह लग रहा जाम, नियमों की अनदेखी कर हो रहा सड़क निर्माण जैसे तमाम कारण हैं, जिन पर ध्यान न देने के कारण हवा में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग के पास ब्लाक स्तर पर हवा की गुणवत्ता जांचने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस ओर विभाग की ओर से कोई प्रयास भी नहीं किए जा रहे हैं।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी प्रदीप कुमार का कहना है कि शहर में हवा में प्रदूषण का स्तर मापने के लिए एयर क्वालिटी मानीटर सिस्टम लगे हैं, लेकिन ब्लाकवार हवा में प्रदूषण की स्थिति जानने के लिए कोई व्यवस्था अभी नहीं हैं।
शहर को छोड़ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नहीं पता किस क्षेत्र की है सबसे जहरीली हवा
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