ऊंचाहार (रायबरेली): बागवान आम में बौर आने से पहले ही बगीचों के स्वामियों से मुलाकात कर सौदा तय कर लेते हैं। और फलों को बेचकर धीरे-धीरे उन्हें भुगतान करते रहते हैं। दवाओं के छिड़काव से लेकर रखवाली व बाग में नमी बनाए रखने सब इन्हीं के जिम्मे रहता है। इस बार बौर से लदे आम के पेड़ देख बागवानी कारोबारियों के चेहरे खिल उठे हैं। इनका मानना है कि यदि मौसम ने साथ दिया तो इस बार अच्छा मुनाफा हो सकता है।
मौसम की मार से पिछले साल आम की पैदावार प्रभावित हो गई थी। महंगाई के कारण फलों के राजा आम का लोग भरपूर स्वाद नहीं ले पाए थे। बागवान इस साल बौर से लदे आम के पेड़ों को देखकर अच्छी पैदावार की उम्मीद जता रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है की अच्छी पैदावार के लिए उचित प्रबंधन, सिंचाई, निराई गोड़ाई, और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव चरणबद्ध तरीके से करना जरूरी है।
किसुनदासपुर, रामचंदरपुर, जमुनापुर, पचखरा, शहजादपुर, गोकना, खरौली, कंदरावा, बरसवां, अरखा, जसौली, पूरे छीटू, सवैया राजे, मियापुर, मतरौली, नेवादा, इटौरा बुजुर्ग आदि गांवों में स्थित आम के बगीचों को लाखों रुपए खर्च कर बाग मालिकों से व्यापारी खरीदारी करते हैं। पैदावार अच्छी हो इसके लिए समय रहते बागों की जोताई, सिंचाई, दवाओं के छिड़काव को लेकर ध्यान दिया जाता है। जमुनापुर निवासी हलीम का कहना है कि उन्होंने दस बीघा आम का बगीचा चार लाख रुपए में खरीदा है। पिछले साल बहुत नुकसान हुआ था, मौसम अच्छा रहा तो इस बार नुक्सान की भरपाई हो जाएगी।
गंधपी निवासी राधेश्याम दो लाख रुपए में पांच बीघा आम का बगीचा लिए हैं, इस वर्ष पेड़ में अच्छे बौर आए हैं। मोहम्मद इद्रीस ने आठ बीघा, अंजुम ने छह बीघा व कलीम ने पांच बीघा बगीचे खरीदे हैं। इन्होंने बताया कि बौर आने से पहले सौदा तय हो जाता है, इसके बाद फल बेचकर भुगतान करना पड़ता है। यदि पेड़ में फल न भी आए तो भी उन्हें बाग मालिकों को तय रूपए का भुगतान करना पड़ता है।