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व्यवस्था की उपेक्षा से आहत विदेशी पक्षियों ने इस झील से मोड़ा मुह

News Desk

ByNews Desk

Feb 7, 2025
व्यवस्था की उपेक्षा से आहत विदेशी पक्षियों ने इस झील से मोड़ा मुह

रायबरेली। करीब 20 साल पहले टांडा झील में साइबेरियन पक्षियों का बसेरा हुआ करता था। पक्षियों के कलरव को सुनने व देखने दूर दूर से लोग परिवार के साथ आते थे। समय बदला और अधिकारियों झील की देखरेख के प्रति उदासीन हो गए। नतीजा यह रहा कि झील वीरान हो गई। स्थानीय लोगों ने झील के कायाकल्प के लिए आवाज उठाई तो शासन से धन भी जारी हुआ। यह धनाराशि झील के सौंदर्यीकरण की जगह अन्य विकास कार्यों में खर्च कर दी गई।

शेषपुर समोधा गांव में झारखंडेश्वर मंदिर के पीछे करीब 70 बीघे में टांडा झील है। स्थानीय लोगाें का कहना है कि करीब 20 वर्ष पहले देशी पक्षियों के अलावा यहां की आबोहवा विदेशी पक्षियों को खूब पसंद आती थी। सर्दी के मौसम में झील में साइबेरियन पक्षियों का बसेरा था। झारखंडेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालु झील के किनारे प्रकृति के मनोरम दृश्य का आनंद लेते थे। घूमने के लिए यहां पर दूरदराज के लोग आते रहते थे, लेकिन रखरखाव व देखरेख के अभाव में यह झील धीरे-धीरे अपना पहचान खोती चली गई।

पूर्व ग्राम प्रधान शिवा शंकर शुक्ल बताते हैं कि 1995 में तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोरा ने समोधा का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने गांव को गांधी ग्राम घोषित किया। तत्कालीन सीडीओ देवेश चतुर्वेदी के प्रयासों से झील के सौंदर्यीकरण के लिए 20 लाख रुपये शासन से स्वीकृत हुए। वन विभाग को कार्यदायी संस्था बनाया गया। झील की बैरिकेटिंग, जलकुंभी की साफ सफाई, किनारे लोगों को बैठने के लिए बेंच की व्यवस्था सहित अन्य कार्य कराने का खाका खींचा गया था, लेकिन इसी बीच सीडीओ का तबादला हो गया। वहीं कार्यदायी संस्था ने किन्हीं कारणों से काम कराने से हाथ खड़े कर दिए, जिससे कायाकल्प की योजना धरी रह गई। पैसा ग्राम पंचायत के अन्य कार्यों में खर्च कर दिया गया।

इसके बाद अक्टूबर 2011 में खंड विकास अधिकारी एके सिंह ने झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास शुरू किए। उन्होंने झील के कायाकल्प को लेकर करीब सवा करोड़ का प्रस्ताव बनाया। झील में 10 मीटर चौड़ा, 10 मीटर गहरा व 10 मीटर ऊंचा बांध बनाने, झील के बीच में पक्षियों को बैठने के लिए मिट्टी के टीले, साफ सफाई सहित अन्य तमाम कार्य कराने की योजना थी। इसी बीच बीडीओ का भी स्थानांतरण हो गया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

बीडीओ शिव बहादुर सिंह का कहना है कि झील के सौंदर्यीकरण को लेकर पर्यटन विभाग से संपर्क किया जाएगा। यह बड़ा प्रोजेक्ट है। पर्यटन के लिहाज से झील बहुत अहम है।

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