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    राजकीय सम्मान के साथ गांव में ही बलिदानी का हुआ अंतिम संस्कार, परिवारी

    News Desk

    ByNews Desk

    Apr 10, 2025

    न्यूज़ डेस्क:
    ऊंचाहार के क्षेत्रीय विधायक के समझाने के बाद बृहस्पतिवार को बलिदानी अंकेश तिवारी का अंतिम संस्कार गांव में नम आंखों से कर दिया गया। बड़े भाई अभिषेक तिवारी ने मुखाग्नि दी। मनिहर गर्वी निवासी रामप्रकाश तिवारी का बेटा अंकेश तिवारी सेना में तैनात थे। रविवार को उनकी शहादत का समाचार मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। बुधवार को सेना के जवान अंकेश तिवारी का पार्थिव शरीर गांव लेकर पहंचे। शव के अंतिम संस्कार की तैयारी पूरी हो गई थी, लेकिन परिजनों ने बेटे की मौत का कारण न बताने से परिवारजन नाराज हो गए और अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया। पिता रामप्रकाश का कहना है कि बेटे के मौत का कारण जानने की कोशिश की गई, लेकिन शव के साथ आए सेना के जवान कुछ भी बताने से मना कर दिया। देर शाम विधायक डाॅ. मनोज पांडेय गांव पहुंचे और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात की इसके बाद रक्षा मंत्रालय की ओर से अंकेश तिवारी के ऑन ड्यूटी बलिदान होने की बताई गई। बृहस्पतिवार को लखनऊ से आए मेजर सुधीर यादव विक्रम सिंह ने परिवारजनों से बातचीत की और उनके बेटे की मौत ड्यूटी के दौरान होने की बात बताई। जिसके बाद सेना के जवानों ने राजकीय सम्मान के साथ शव का अंतिम संस्कार कराया। बलिदानी के बड़े भाई अभिषेक तिवारी ने चिता को मुखाग्नि दी। इस मौके पर उप जिलाधिकारी ऊंचाहार सिद्धार्थ कुमार, क्षेत्राधिकारी डलमऊ अरुण कुमार, थाना प्रभारी बालेंदु गौतम, जगतपुर व ऊंचाहार थाना प्रभारी भी मौजूद रहे।
    इनसेट

    बेटे की अर्थी उठते ही बेसुध हो गई मां
    बेटे अंकेश तिवारी के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया चल रही थी। 24 घंटे दरवाजे बेटे का शव रखा रहा। इस दौरान बलिदानी की मां और अन्य परिवारजनों का रो रो कर बुराहाल हो गया। बेटे की अर्थी उठी तो मां बेसुध हो गई। लोगों ने उनको ढाढस बंधाया।

    माता पिता से रोज होती थी बात
    पिता राम प्रकाश तिवारी ने बताया कि प्रतिदिन सुबह बेटे का फोन आता था। रोते हुए मां विमन तिवारी ने बताया 15 फरवरी को वह अपने भाई अभिषेक तिवारी की शादी में घर आया हुआ था। पांच मार्च को वापस ड्यूटी पर चला गया। उसके बाद अचानक उनकी शहादत की खबर आई। गांव में भी लोगों ने बताया कि अंकेश मिलनसार स्वभाव के थे। जब भी गांव आते वह हर किसी से मिलते थे। उनकी मौत से हर कोई अचंभित है।