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मनुष्य के कर्मों से भाग्य बनता और बिगड़ता है-बसंत

रायबरेली। सन्त निरंकारी आश्रम जगतपुर में रविवार को सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सत्संग वक्ता बसन्त ने कहा मनुष्य के कर्मों से भाग्य बनता और बिगड़ता है। धरती पर स्वर्ग बसाने वाला भी इंसान है। इस दुनिया को नर्क बनाने वाला भी इंसान है,प्रेम दया सद्भाव जहां है सुख का वहां बसेरा है।

सतगुरु के मिलने पर मिलने वाले ज्ञान के बाद सम दृष्टि के साथ रहना संभव हो ता है।
सन्तमति को धारण करके सुंदर हम सुन्दर व्यवहार करें ।यह मानवता है। युगो युगो से सन्तो ने मानव को सत्य के मार्ग को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

जब हम सभी सत्य के साथ जुड़ जाएंगे तो हमारे कर्म भी सुंदर बनते चले जाएंगे। जिनके कर्मों में ईष्र्या, द्वैश, जलन, नफरत, स्वार्थ, रहता है। ऐसे लोग जीवन में सुख शांति खो देते है। यही सबसे बड़ी समाज की विडंबना है।

इसके विपरीत दया, क्षमा, विशालता ,विनम्रता सहनशीलता जैसे गुणों से युक्त लोग सुख शांति के साथ जीवन जिया करते हैं। आज भी ऐसे ही कर्म करने की प्रेरणा दी जा रही है।हम सभी ऐसा काम करें कि मानव मानव को प्यारा हो जाए ।एक दूसरों के मनों में भले की भावना बन जाए। कोई किसी का अहित न करें। सभी के हित की भावना रखकर सन्त मति को धारण करके जीवन जिए ।इस मौके पर वसंत लाल,शिव मूर्ति ,जगन्नाथ , श्याम लाल , रतिपाल ,संजय कुमार सिंह , बसंत सिंह ,दर्शन कुमार , कमल , अखिलेश , शत्रुघ्न , राम प्रसाद , राम लखन, रज्जन वंदना , उषा , कमला , सरिता ,धन देवी , सीमा देवी ,निर्मला ,सावित्री ,रामश्री मौजूद रही।

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