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मकबरा के सौंदर्यीकरण का खाका तैयार

News Desk

ByNews Desk

Dec 19, 2024
मकबरा के सौंदर्यीकरण का खाका तैयार

ऊंचाहार: शासन के निर्देश पर कस्बा स्थित माह परवरशाह मकबरे के सौंदर्यीकरण को लेकर पर्यटन विभाग की ओर से राजस्व विभाग से स्थलीय जांच रिपोर्ट मांगी गई है। आख्या पहुंचने के बाद ही जीर्णोद्धार का कार्य शुरू कराया जाएगा। नजमुद्दीन की याद में उनकी महबूबा बेगम माह परवर ने

17वीं शताब्दी में इस मकबरे का निर्माण वास्तुकला शैली को ताजमहल से मिलाकर बनवाया था। महबूबा माह परवर के बारे में बताया जाता है कि वह शासक शाहजहां की बेटी होने के साथ शाही खानदान से थी। कस्बे के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले नजमुद्दीन दिल्ली शहर के एक स्कूल में पढ़ते थे, जहां उनकी मुलाकात माह परवर से हुई। पढ़ाई के साथ एक दूसरे के प्रति चाहत बढ़ती गई।

उसी समय शाहजहां को औरंगजेब ने कैद कर लिया था। उसका जुल्म शाही परिवार पर बढ़ता ही गया। जुल्म से बचने के लिए माह परवर काफी धन दौलत व खजाने के साथ दिल्ली से चल पड़ी। और पहले आगरा फिर गंगा नदी के रास्ते ऊंचाहार के कोटरा बहादुर गंज गांव पहुंची। इस दौरान माह परवर के साथ कुछ उनके कुछ खास सहयोगी भी थे। यहां गंगा नदी के किनारे गांव के पास उन्होंने एक सराय का निर्माण कराया ।

बताया जाता है कि नजमुद्दीन प्रतिदिन रात के वक्त घुड़सवारी कर उनसे मिलने जाया करते थे। बाद में उन्होंने माह परवर से निकाह कर लिया। कस्बा निवासी मोहम्मद फारूक, मौलाना हसनैन, मौलाना उवैस नकवी बताते हैं कि माह परवर ने ही कस्बे के बड़ा इमामबाड़ा का भी निर्माण कराया था। नजमुद्दीन की मौत के बाद इस मकबरे को उनकी याद में बनवाया गया। वहीं कस्बे के वरिष्ठ नागरिक फिरोज नकवी बताते हैं कि इसे अब्दुल खालिक ने बनवाया था, जो नजमुद्दीन और माह परवर के वंशज थे। इस मकबरे के पास में ही एक और मकबरा था, जिसका गुंबद आज भी वहां स्थित है। फिरोज नकवी बताते हैं कि यह मकबरा वीरान था। करीब 40 साल पहले कस्बे के समाजसेवी मोहम्मद शब्बर नकवी ने इसमें कुछ आंतरिक हिस्से की मरम्मत कराई थी।

गुमनामी के साज में मिला योगी का ‘ताज’

कस्बा के दीवान तालाब के पास स्थित खूबसूरत आलीशान यह मकबरा गुमनाम हो गया था। मोहब्बत के साज की इस ऐतिहासिक धरोहर को योगी सरकार ने नया आयाम दे दिया है। सरकार ने इस मकबरे को राजकीय धरोहर घोषित किया है। जमीन से छह 10 फिट ऊंचे बने मकबरे की लंबाई लगभग 60 फिट और इतनी ही चौड़ाई है। चारों कोनों पर मुगल शासन काल की सुंदर नक्काशी बनी हुई है। लखोरी ईंट से बने मोटी दीवारें शोभायमान हैं। दलान के मध्य में बड़ा हाल है।जिसके ऊपर ऊंची गुंबद है। हाल में एक बहुत पुरानी कब्र भी बनी हुई है।

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