Img 20250304 Wa0343

नागेश त्रिवेदी रायबरेली
धोबहा गांव में मंगलवार को श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य श्याम शंकर ने हिरणाकश्यप तथा भक्त प्रहलाद की कथा का वर्णन करते हुए कहा।

हिरणाकश्यप ब्रह्मा जी की उपासना करता था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने मन चाहा वरदान मांगने को कहा था। तब उसने मौत से बचने के लिए कहा था ,हमारी मृत्यु न धरती में न आकाश में। न दिन में ना रात में। ना दरवाजे न घर में। ना अस्त्र से ना शस्त्र से हो। तथास्तु कहकर ब्रह्मा ने वरदान दे दिया था। उसके बाद हिरणाकश्यप स्वयं को भगवान मानने लगा था। उसका पुत्र भक्त प्रहलाद नारायण की उपासना करता था । इस बात को लेकर हिरणाकश्यप भक्त प्रहलाद को प्रताड़ित करता था। बार-बार मना करने के बाद भी जब प्रहलाद ने ईश्वर का भजन बंद नहीं किया। इस बात से नाराज होकर हिरण्यकश्यप भक्त प्रहलाद को मारने की युक्ति करने लगा।

एक दिन हिरण्यकश्यप उसे पकड़कर मारने के लिए घर के आंगन में ले गया। और कहा बुलाओ तुम्हारे भगवान कहां है। तुम्हारी मृत्यु आ गई है। प्रहलाद ने कहा था। कण कण में भगवान हैं। जैसे ही हिरणाकश्यप ने तलवार से प्रहलाद का सर काटने का प्रयास किया उसी वक्त खंभे से नरसिंह के रूप में भगवान प्रकट हुए।गोधूलि बेला में अपनी जांघों पर रखकर पंजों से पेट को फाड़ दिया।
आचार्य ने कहा भगवान भक्तों के प्रेम के भूखे हैं।

मनुष्य को जीवन में मंचअहंकार नहीं करना चाहिए। इस मौक डॉ शिवराज सिंह, धीरेंद्र प्रताप सिंह, डॉ संजय सिंह, आशुतोष पांडे, दिनेश कुमार पांडे, लक्ष्मी नारायण, बब्बू त्रिवेदी ,शिवेंद्र प्रताप सिंह मौजूद रहे।