ड्रैगन फ्रूट और स्काॅटलैंड का काले आलू बढ़ा रहा स्वाद और सेहत

ऊंचाहार। प्रगतिशील किसान राम गोपाल सिंह चंदेल क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणाश्रोत हैं। धान, गेहूं व आंवले की खेती के साथ उन्होंने अमेरिका के ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। राम गोपाल को कहना है कि आने वाले समय में ड्रैगन उनकी आय बढ़ाने के साथ क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी। यह फल न केवल स्वाद बढ़ा रहे हैं, बल्कि सेहतमंद भी बना रहे हैं।

तहसील मुख्यालय से लगभग सात किमी दूर बरसवां मजरे कंदरावां के किसान रामगोपाल सिंह करीब छह एकड़ में खेती करते हैं। गांव के पास ही उनका कृषि फार्म है। जिसमें इस बार उन्होंने लगभग एक बीघे ड्रैगन फ्रूट की फसल लगाई है। नागफनी प्रजाति की इस फसल के लिए एक हजार पौधे तैयार किए जा रहे हैं। किसान की माने तो जुलाई में फसल फूलों से सजेगी और फल लगने शुरू होगें। नवंबर से उपज तैयार होगी। आस पास के कई किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है, लेकिन अभी उनकी फसल शुरुआती दौर में है।

किसान रामगोपाल सिंह का कहना है कि इस खेती के लिए एक एकड़ में 500 सीमेंट के पतले खंभे लगाए गए हैं। एक खंभे में चार पौधे लगाए जाते हैं। खंभों की दूरी 10 फिट व पौधे से पौधे की दूरी आठ फिट होती है। एक पेड़ में पहले वर्ष पांच किलो फल निकलता है और 25 वर्षों तक हर वर्ष फल उत्पादन में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। बाजार में इन फलों की कीमत 250-400 रुपये प्रति किलो है।

किसान राम गोपाल सिंह फसल में रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं करते। गोबर व गौमूत्र से स्वयं तैयार की जाने वाली जीवामृत जैविक घोल फसलों में डालते हैं। उनके कृषि फार्म में स्काॅटलैंड का काला आलू भी तैयार होने वाला है। वहीं दो हजार वर्ष पुरानी गेहूं की देशी प्रजाति सोना, मोती व वंशी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। राम गोपाल की मशरूम व चियासीड़ भी लगाई है।

रामगोपाल का कहना है कि ड्रैगन फ्रूट पौष्टिक फलों में एक है। इसमें फ़ाइबर, विटामिन ए व सी, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है। डाक्टरों की मानें तो इसके सेवन से पाचन तंत्र को मजबूती व कब्ज की समस्या से मुक्ति मिलती है। आंख, दांत व हड्डियों की मजबूती के लिए भी यह फल लाभदायक है।