रिपोर्ट-सागर तिवारी
ऊंचाहार (रायबरेली): पर्यटन विभाग द्वारा ऐतिहासिक गोकर्ण ऋषि की तपोस्थली गोकना घाट के सौंदर्यीकरण के लिए तीन करोड़ 10 लाख रुपए की धनराशि आवंटित की है। इसमें घाट की सीढ़ियों, शिवालयों तथा बारादरी समेत अन्य कार्य कराए जाने हैं। एक वर्ष पूर्व शुरू हुए इस निर्माण कार्य की गति बेहद धीमी होने से अभी तक 10 फीसद कार्य भी पूर्ण नहीं हो सका है। इसको लेकर घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं समेत तीर्थ पुरोहितों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर लोगों में नाराजगी बनी हुई है।
डलमऊ के बाद जनपद में गोकना घाट का धार्मिक व ऐतिहासिक विशेष महत्व है। यहां पर अमावस्या, पूर्णिमा समेत अन्य प्रमुख पर्वों पर जनपद के अलावा सुल्तानपुर, अमेठी, प्रतापगढ़ आदि जनपदों के लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान को आते हैं। तट पर स्थित प्राचीन शिवालयों, बारादरी व घाट के सौंदर्यीकरण को लेकर तीर्थ पुरोहितों समेत क्षेत्र वासियों की लगातार मांग के बाद फरवरी वर्ष 2024 में पर्यटन विभाग की कार्यदाई संस्था निगम द्वारा उक्त घाट के सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हुआ।
दो महीने बाद बरसात शुरू होते ही जिम्मेदार घाट पर गड्ढा खोदकर पिलर बनाने को लोहे की सरिया लगा काम बंद कर चले गए। घाट पर फैली अव्यवस्था के बीच तीर्थ पुरोहितों के डीएम से शिकायत के बाद के जिलाधिकारी के हस्तक्षेप पर दिसम्बर महीने में फिर से निर्माण कार्य शुरू हुआ, जो कछुआ गति से चल रहा है। तीर्थ पुरोहित पंडित जितेंद्र द्विवेदी, रामप्रकाश दीक्षित, शिव बचन मिश्र, गुरु प्रसाद, दुर्योधन प्रसाद मिश्र, जवाहर लाल मिश्र, उमाकांत शुक्ल, ओमप्रकाश दीक्षित, राजेश कुमार द्विवेदी, भीमशंकर आदि का कहना है कि निगम के निर्माण कार्य की धीमी गति के चलते अभी 10 फीसद कार्य भी पूर्ण नहीं हो सका है।
महाशिवरात्रि व कार्तिक पूर्णिमा पर्वों पर गंगा स्नान को घाट पर आने वाले श्रद्धालुओं को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कहा कि संस्था द्वारा यदि जल्द ही निर्माण कार्य को गति न दी गई तो हम सभी मुख्यमंत्री से मुलाकात कर शिकायत को बाध्य होंगे।
एसडीएम सिद्धार्थ चौधरी ने बताया कि गोकना घाट के सौंदर्यीकरण की धीमी गति को लेकर पर्यटन विभाग के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है। जल्द ही कार्य को गति दिलाते हुए सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा कराया जाएगा।