गेहूं में इस बार तीन नहीं चार बार पानी की पड़ेगी जरूर

रायबरेली: मौसम में बहुत तेजी से बदलाव होने के साथ ही तापमान में भी बढ़ोतरी हो रहा है। इसे देखकर किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। सुबह से ही चलने वाली उत्तरी पछुआ हवाओं से खेतों की नमी उड़ती जा रही है। ऐसे में इन्हें खेतों की अधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ रही है। फरवरी महीने में ही सुबह से निकलने वाली तेज धूप और तापमान में बढ़ोतरी के कारण किसानों को गेहूं और सरसों कि फसलें प्रभावित होने का डर सता रहा है।

पिछले सप्ताह से पछुआ हवाएं चलने के साथ तेज धूप निकल रही है। दोपहर के समय मार्च महीने जैसे हालात बन जाते हैं। मौसम में आए बदलाव से किसान काफी चिंतित हैं। इन्हें आशंका है कि प्रत्येक सप्ताह बदल रहा यह मौसम फसलों में विपरीत असर डालेगा।

पचखरा निवासी किसान राजेंद्र सिंह भदौरिया, देव कुमार, सदाफल, संतोष कुमार, गोलू सिंह, उदय सिंह, सतीश कुमार, विनोद कुमार, हरिश्चंद्र, प्रमोद कुमार, प्रदीप कुमार, भोला पाल, दिनेश कुमार तिवारी आदि ने बताया कि इस वर्ष जिस तरह हालात बने हैं, इससे गेहूं, सरसों की फसल में तीन की जगह चार पानी लगने की संभावना बन गई है। कहा कि पहले फरवरी महीने में सर्दी के साथ ओस की मात्रा अधिक होती थी, लेकिन इस वर्ष फरवरी में ठंड और कोहरा भी नहीं पड़ रहा है।

मौसम का यह बदलाव फसलों के लिए घातक साबित हो रहा है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। मियापुर निवासी प्रगतिशील किसान जग्गी प्रसाद भी मौसम के इस बदलाव को फसलों के लिए मुफीद नहीं मान रहे हैं। इनके अनुसार फरवरी माह में बढ़ा हुआ इतना तापमान सही नहीं है। यह फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर सकता है। सुबह से चलने वाली तेज हवाओं के कारण खेतों की नमी कम होने के साथ फूल भी कम आएंगे और फसलें जल्द तैयार हो जाएंगी। जिला उद्यान निरीक्षक पुष्पेंद्र तिवारी भी मौसम के इस बदलाव को ठीक नहीं मानते हैं।

पछुआ हवाओं के चलने तथा रात का तापमान गिरने से अभी सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष गेहूं के अलावा रबी में बोई गई दलहन, तिलहन की फसलें भी बहुत अच्छी हैं। मौसम मगर साथ देगा तो अच्छे उत्पादन की उम्मीद जताई जा सकती है। किसान अपने खेतों में पानी न भरने दें, अन्यथा फसलों में उगड़ा रोग लगने की संभावनाएं बढ़ जाएगी। हल्की सिंचाई के साथ खेतों में नमी बनाए रखें।