कागज की कटोरी व प्लेट से साकार हो रहे आधी आबादी के सपने

रायबरेली। मुफलिसी के दौर से गुजर रही गांव की महिलाओं ने समूह का गठन किया और कागज 50- 50 रुपये जोड़कर कागज से कटोरी व प्लेट बनाने का कारोबार शुरू किया। आर्थिक तंगी से जूझ रही महिलाओं न सिर्फ समाज में अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि इस रोजगार को आर्थिक समृद्धि का प्रतीक भी बना दिया है। कोई भी आयोजन हो समूह से बने दोना व प्लेट मांग हो रही है। व्यवसाय की चमक बढ़ने से अन्य महिलाएं भी स्वरोजगार की ओर आकर्षित हो रही हैं।

दीनशाहगौरा ब्लॉक के टिकरिया साई की रहने वाली शोभा देवी का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। शोभा ने स्वरोजगार का सपना संजाेया और 2021 में गांव की 10 महिलाओं को बुलाकर समूह का गठन कर खुद का रोजगार शुरू करने की योजना साझा की। सभी महिलाओं ने मिलकर दुर्गा महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया और 50-50 रुपये की बचत शुरू की। इसी दौरान आजीविका मिशन के ब्लाॅक मिशन प्रबंधक ने समूह की महिलाओं से मुलाकात की और खुद का रोजगार लगाने के लिए प्रेरित किया। समूह के नाम से मिशन प्रबंधक ने 2023 में बैंक से लोन स्वीकृत कराया और कागज से कटोरी व प्लेट बनाने का प्रशिक्षण दिलाया। महिलाओं ने आजीविका मिशन के तहत मशीन खरीद कर रोजगार शुरू किया। समूह से बनीं कटोरी व प्लेट की स्थानीय बाजारों में खूब डिमांड हो रही है।

समूह की अध्यक्ष शोभा देवी का कहना है कि एक प्लेट बनाने में करीब ढ़ाई रुपये की लागत आती है, जबकि बाजार में पांच रुपये की दर से आसानी से बिक जाती है। इसी तरह 35 पीस कटोरी बनाने में करीब चार रुपये लागत आती है, लेकिन बाजार में आठ रुपये में बिक रही है। समूह के सभी सदस्यों को हर माह नौ से 10 हजार रुपये की आमदनी हो रही है।

गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। आजीविका मिशन से हर महिला जुड़े इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है। समूह से बने उत्पाद को ऑनलाइन बाजार मिले, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।
ऋषिपाल सिंह, उपायुक्त, स्वारोजगार आजीविका मिशन