ऊंचाहार (रायबरेली): ग्रामीण अंचल को स्वच्छ बनाने के लिए ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते अधिकतर शौचालय में या तो ताले लटकते रहते हैं, या फिर गुणवत्ता विहीन होने के कारण उपयोग होने से पहले ही जर्जर हो चुके हैं। ऐसी दशा में ग्रामीण खुले में शौच क्रिया के लिए मजबूर हैं। शिकायत के बावजूद जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। समस्या को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है।
ब्लाक अंतर्गत 54 ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान के तहत वर्ष 2020-21 में कहीं दो तो कहीं एक-एक सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है। इनकी देखने के लिए इनके निर्माण में चार लाख से लेकर आठ रुपए तक खर्च किए गए। इनकी स्वच्छता की जिम्मेदारी समूहों को दी गई। जिसके एवज में उन्हें छह हजार रुपए प्रतिमा भी दिए जाते हैं। लेकिन हाल यह है कि कहीं सामुदायिक शौचालयों में ताला लटक रहा है, तो कहीं इनके दरवाजे खिड़कियां समेत फर्श टूटी हुई है। सबसे खराब स्थिति तो किसुनदासपुर व कोटिया चित्रा ग्राम पंचायत के दलित बस्ती में बने सामुदायिक शौचालयों का है।
यहां निर्मित शौचालय बिजली, पानी के अभाव में उपयोग होने से पहले ही जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हैं। और तो और इनमें लगे दरवाजे खिड़की समेत फर्श भी टूट चुकी है। किसुनदास पुर निवासी राजकुमार तिवारी, राम लौटन, झूरी, विनोद कुमार, रामबरन, संतलाल, संतराम, देशराज, बिंदादीन, राम शंकर, उर्मिला देवी, मालती, पुष्पा देवी, प्रीती का कहना है कि निवर्तमान प्रधान द्वारा गांव के बीच दलित बस्ती में बनवाया गया सामुदायिक शौचालय गुणवत्ता विहीन था। बिजली और पानी की व्यवस्था न होने से एक दिन भी इस शौचालय का उपयोग नहीं किया जा सका। गांव के लोग या तो निजी शौचालय का प्रयोग करते हैं, या फिर मजबूरन उन्हें खुले में जाना पड़ता है। सामुदायिक शौचालय को चालू कराने के लिए कई बार आवाज उठाई गई। लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते यह शौचालय उपयोग होने से पहले ही जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। खंड विकास अधिकारी कामरान नेमानी ने बताया कि मामला संज्ञान में नहीं है, जांच कराकर जिम्मेदारों के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।