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नागेश त्रिवेदी , जगतपुर

सन्त निरंकारी आश्रम में रविवार को सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सत्संग की अध्यक्षता करते हुए वक्ता बृजेश ने कहा हम आनंद की खोज में क्या-क्या नहीं करते हैं ।यह ऐसे मिलने वाला नहीं है। वास्तविक आनंद प्रभु की भक्ति में ही मिलता है।

आनंद की प्राप्ति के लिए मनुष्य दर-दर भटकता है। सुख और आनंद हम सभी को संसार की वस्तुओं से कुछ पल के लिए प्राप्त हो सकती है ।लेकिन अगर मन को आनंदित रखना है तो उसका सिर्फ एक ही मार्ग है। और वह भक्ति है ।संगत का असर मानव जीवन पर पड़ता है। अच्छे लोगों का साथ करने पर सदाचार ही मिलता है।

लेकिन दुष्ट जनों का साथ मिलने पर मनुष्य की प्रवृत्ति बदल जाती है। और वह व्यक्ति सांसारिक दुखों को भोगता है। ठीक इसी प्रकार माया और भक्ति है। अगर हम सभी माया से जुड़ते हैं ।तो माया मिलती है। लेकिन माया नाशवान तथा अति चंचल है, ये हमें चंचलता ही देगी, कुछ पल का सुख ही हमें देगी, लेकिन प्रभु परमात्मा के साथ जुड़कर भक्ति करेंगे तो वह स्वयं परमानंद है ।और वह आनंद ही आनंद प्रदान करेगा।

सन्त जन , गुरु हमेशा प्रभु की भक्ति करने की शिक्षा देते हैं। सतगुरु की कृपा से इसे जाना जा सकता है। ईश्वर की भक्ति करने पर जीवन सफल हो जाता है।इस मौके पर बसन्त लाल , राम प्रसाद , बब्लू ,तारा चंद्र , राम लखन , राम सुमेर , बाबूलाल , रती पाल , बहन वंदना ,ऊषा देवी , कर्मावती ,मंजू देवी , माया आदि मौजूद रही

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