आचमन करने योग्य भी नहीं गंगा का जल

न्यूज़ डेस्क : जल को शुद्ध करने के लिए भले ही करोड़ों रुपये कागज पर खर्च किये जा रहे हों लेकिन धरातल पर मोक्षदयिनी प्रदूषण से स्वयं की मुक्ति के लिए कराह रही हैं। जमीनी हकीकत स्वच्छता के दावों से बिल्कुल अलग है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से सितम्बर माह में जारी की गई रिपोर्ट के आंकड़ों में डलमऊ में गंगा का पानी डी श्रेणी में है, जो पीने योग्य पानी नहीं है।

आचमन की दूर स्नान योग्य नहीं है पानी
गंगा का सनातन धर्म में विशेष महत्व है, पौराणिक मान्यता है कि गंगा जल छिड़कने मात्र से स्थान शुद्ध हो जाता है, लेकिन वर्तमान समय में यदि गंगा जल से आचमन या स्नान किया तो आप बीमार हो सकते हैं। यह और कोई नहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बोल रहे हैं। सनातन धर्म पेट बड़ा मटके स्वामी दिव्यानंद गिरि ने बताया कि गंगा का जल कम होने से निरंतर दूषित होता जा रहा है गंगा में गिर रहे गंदे नालों के कारण गंगा आचमन करना भी मुश्किल हो रहा है।

कागज पर ही जैविक विधि से शुद्ध हो रहे नाले
जैविक विधि से गंदे नालों को शुद्ध करने के लिए नगर पंचायत की ओर से फर्म को जिम्मेदारी सौंपी गई लेकिन धरातल पर बायोरेमेडीएशन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की जा रही है, खाली धमकियां जिसकी स्वयं गवाही दे रही है, जैविक विधि से शुद्ध करने के लिए नाले पर संदीप मिश्र के घर के किनारे टंकी रखी गई है संदीप कुमार मिश्र ने बताया कि बीते कई माह से इस टंकी में कोई न केमिकल डालने आया और न देखने।

संत बोले
सनातन धर्म पीठ बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने कहा कि गंगा के अमृत प्रवाह को प्रदूषण से बचाने के प्रयास कागजों से निकाल कर धरातल पर लाने की जरूरत है। यही हालत रहे तो जलीय जीवों पर भी संकट के बादल छाएंगे। समय रहते जिम्मेदारों को इस ओर गम्भीरता पूर्वक विचार कर प्रयास करना चाहिए।

नाले जो उगल रहे जहर
सड़क घाट नाला – 95.4 लीटर प्रति घंटे
पथवारी देवी घाट नाला- 528 लीटर प्रति घंटे
दीन शाह गौरा घाट नाला- 438.37 लीटर प्रति दिन (18.2लीटर प्रति घंटे)
महावीर घाट नाला – 390.50 लीटर प्रति दिन (16.3 प्रति घंटे)
शुकुल घाट नाला – 89.64 लीटर प्रति घंटे
बरुद्दाघाट नाला- 39.96 प्रति घंटे
मठ घाट नाला – 427.27 लीटर (17.8 लीटर प्रति घंटे)
श्मशान घाट नाला, 480 लीटर प्रति दिन
पड़वा नाला – 03 एमएलडी
(आंकड़े जलनिगम के अनुसार)

इनकी भी सुने
नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी आरती श्रीवास्तव ने बताया कि गंगा में गिर रहे नालों को शुद्ध करने के लिए बायोरेमेडीएशन विधि से फर्म को को जिम्मेदारी सौंपी गई है यदि लापरवाही हो रही है तो संबंधित फर्म पर कार्यवाही की जाएगी।

कोट-
गंगा के पानी की निरंतर जांच की जा रही है जांच के लिए धारा के मध्य से नमूना लिया जाता है जहां जांच में पानी स्वच्छ है ,और आचमन व पीने योग्य है, हालांकि किनारे निरंतर गतिविधियां प्रचलित रहती हैं जिसके कारण पानी खराब होने की शिकायतें मिल रही हैं। ‌‌ जांच कराई जाएगी ।
प्रदीप कुमार विश्वकर्मा
क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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