नागेश त्रिवेदी जगतपुर, रायबरेली: बाबा बिचारी दास की कुटी पर 16 वे श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य अनुज कुमार शास्त्री ने गोवर्धन पर्वत की कथा प्रकाश डालते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
आचार्य ने कहा बृजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करते थे। यह देख इंद्र नाराज हो गए। तीन करोड़ मेघों से कहाथा हमारी पूजा ना करके ब्रजवासी गोवर्धन की पूजा कर रहे हैं। सब लोग समुद्र से जल भर के गोवर्धन क्षेत्र को जलमग्न कर दो। समस्त मेघ गोवर्धन पर्वत पर पहुंचे। उसी समय कन्हैया ने समस्त ब्रज वासियों को गोवर्धन पर्वत के पास बुलाया। अपने सुदर्शन चक्र से चौरासी कोस में फैले गोवर्धन क्षेत्र में पहरा लगा दिया। लगातार सात दिनों तक मेघवर्षा करते रहे ।सात कोस के गोवर्धन क्षेत्र को नहीं भर सके। इंद्र ने नाराज होकर मेघों से भीषण बारिश करने को कहा था। भीषण बारिश होने पर समूचा क्षेत्र जलमग्न हो गया। तब श्री कृष्ण ने एक उंगली मात्र पर गोवर्धन पर्वत को उठा कर ब्रज वासियों की रक्षा की थी।
इसी दिन से गांव गांव में गोवर्धन की आज भी पूजा होती है। गोवर्धन पूजा के दिन वृंदावन के 84 क्षेत्र में रहने वाली गोपिकाएं महामाया का पूजन कर व्रत रखती थी और महामाया से नंद के लाला को पति के रूप में पाने की मांग करती थी। इस मौके पर ललित कुमार, लक्ष्मी नारायण ,108 स्वामी संत शिव दास, नीरज कुमार, दीपक कुमार ,दल बहादुर सिंह ,वृंदावन ,शिव शरण शीतला प्रसाद , सोनू सिंह,आदि मौजूद रहे।