ऊंचाहार रायबरेली: कहने को तो क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा है, लेकिन सूखी नहरों के बीच धान हो या गेहूं या फिर सब्जियों की फसल, किसानों को निजी नलकूपों का ही सहारा लेना पड़ता है। समय पर कभी भी नहर में पानी नहीं आता है। गेहूं की बोवाई का सीजन समाप्त हो चुका है, बोवाई करने के 21 दिन बाद सिंचाई शुरू हो जाती है। लेकिन नहर में पानी न आने से किसान खेतों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। परेशान किसान अधिक रुपए खर्च कर पंपिंग सेट या फिर निजी संसाधनों से सिंचाई को मजबूर है।
डलमऊ पंप कैनाल से निकलने वाली ऊंचाहार रजबहा समेत माइनरों के सहारे क्षेत्र के सुदामापुर, कमोली, किसुनदासपुर, सरबहदा, रामसांडा, गुलरिहा, नजनपुर, सवैया धनी, पूरे बरइन, सवैया हसन, सवैया राजे, बहेरवा, पूरे बेनऊ, गंधपी, डाड़ेपुर, बाहर पुर, पचखरा, होरैसा, महिमा पुर, कंदरावा समेत 150 गांवों के लगभग 20 हजार किसान अपनी 10 हजार एकड़ जमीन की सिंचाई कर धान, गेहूं, सब्जियों समेत अन्य फसलें उगाते हैं। इन दिनों यह नहर विभागीय उपेक्षा की शिकार हो चुकी है। यही वजह है कि सिंचाई का मौसम चल रहा है और नहरें सूखी हैं।
होरैसा निवासी देवेश सिंह, राजेंद्र कुमार, दिनेश कुमार, बजरंगी पूरे बेनऊ निवासी संगम लाल मिश्र, कृष्ण कांत पांडेय, केके मिश्र, दीपू, संतोष, राजू, दिनेश कुमार, दिलीप कुमार यादव, रज्जू यादव आदि का कहना है कि अगेती गेहूं की बोवाई करीब एक महीना पहले पूरी हो चुकी है। रबी की मुख्य फसल गेहूं की सिंचाई का समय चल रहा है, लेकिन नहर में अब तक पानी नहीं छोड़ा गया है। इसकी वजह से हम किसानों को सिंचाई के लिए अधिक पैसा खर्च कर निजी संसाधनों का सहारा लेना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि विभाग अन्नदाता के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जब सिंचाई के मौके पर पानी छोड़ा नहीं जा रहा है तो समय निकालने के बाद पानी छोड़ने का क्या मतलब रहेगा। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग के उच्च अधिकारियों से नहर में पानी छोड़े जाने को लेकर कई बार लिखित व दूरभाष के जरिए मांग की गई है। लेकिन विभाग समस्या संज्ञान में नहीं ले रहा है।
सिंचाई विभाग के अवर अभियंता प्रवीण कुमार पांडेय का कहना है कि अभी नहर की सफाई का कार्य चल रहा है। किसने की समस्याओं को प्राथमिकता पर लेटे हुए जल्द ही नहर में पानी छोड़ा जाएगा।